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Rajasthan Weather Report : सीकर सबसे सर्द, माइनस 4.5 डिग्री पारे ने दिन में भी छूटाई धूजणी

Sikar weather : फतेहपुर कृषि अनुसंधान केन्द्र के ओपी कालश ने बताया कि हिमाचल में हुई बर्फबारी के बाद चल रही उत्तरी हवाओं के कारण दिन का तापमान तेजी से गिर रहा है।

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weather in rajasthan

sikar lowest temperature minus 4.5 degree celsius Today

सीकर/फतेहपुर. हिमालय के तराई क्षेत्रों में बर्फबारी के बाद शेखावाटी अंचल पिछले पांच दिन से खून जमा देने वाली सर्दी से थर-थर कांप रहा है। दो दशक बाद पहली बार दिसम्बर माह के मध्य में ही न्यूनतम तापमान लगातार गिर रहा है। सीकर जिला मंगलवार रात को तेज सर्दी से जम गया। खेतों की मेड पर बर्फ के फूल नजर आए। बाहर खुले में रखा सामान और गाडिय़ां रात दस बजे ही ओस से भीग गई।

खुले में रखे बर्तनों और मटके में रखा पानी बर्फ के समान ठंडा हो गया। बिस्तर में दुबकने के बावजूद लोग ठिठुरते रहे। हाथ-पैर सुन्न से पड़ गए। पानी में हाथ डालते ही करंट सा लगा और लोग गर्म पानी से भी नहाने से कतराते रहे। सुबह नौ बजे तक कड़ाके की सर्दी रही। सर्द हवाएं नश्तर की तरह चुभी। धूप निकलने के बाद सर्दी से कुछ राहत मिल गई और लोगों ने छतों पर गुनगुनी धूप का आनंद लिया। फतेहपुर कृषि अनुसंधान केन्द्र पर न्यूनतम तापमान माइनस 43.5 डिग्री रिकॉर्ड किया गया।


दिसम्बर में जल्द पडऩे लगी ठंड
फतेहपुर कृषि अनुसंधान केन्द्र के ओपी कालश के अनुसार आमतौर पर दिसम्बर माह के अंतिम सप्ताह में ही तेज सर्दी रहती है। लेकिन इस बार हिमालय क्षेत्र में जल्द बर्फबारी के कारण अभी तेज सर्दी पड रही है। केन्द्र के रेकार्ड के अनुसार वर्ष 1988 के बाद से अब तक 18 दिसम्बर को इतना ’यादा न्यूनतम तापमान नहीं रहा है। हालांकि 2005 में न्यूनतम तापमान माइनस 1.2 और 2007 में माइनस 1 और 2017 में माइनस 1.2 डिग्री रहा है।

शेखावाटी का अधिकांश इलाका मैदानी व सूखा होने से हवाओं के कारण मौसम में बदलाव आता है। हिमाचल में हुई बर्फबारी के बाद चल रही उत्तरी हवाओं के कारण दिन का तापमान तेजी से गिर रहा है। ऐसे में विंड स्ट्रॉम की स्थिति बन गई है। मौसम में आए परिवर्तन से ओस रूपी अमृत गिरने से नमी बढऩे से जहां फसलों की बढ़वार होगी।

फैक्ट फाइल 18 दिसम्बर का तापमान डिग्री सेल्सियस में
वर्ष न्यूनतम तापमान
2007- माइनस 1
2008-10.5
2009- 7
2010-3.5
2011- 1.2
2012- 4.1
2013- 9.5
2014- 0.4

2015- 0.6
2016- 3.4

2017 - माइनस 1.2
2018 - माइनस 3.5

यूं गिरा पांच दिन में पारा

14 दिसम्बर- माइनस 0.5
15 दिसम्बर- माइनस 0.8

16 दिसम्बर- माइनस 2
17 दिसम्बर- माइनस 1.2

18 दिसम्बर- माइनस 3.5

दिन व रात के तापमान का अंतर घटा

शेखावाटी का अधिकांश इलाका मैदानी व सूखा होने से हवाओं के कारण मौसम में बदलाव आता है। फतेहपुर कृषि अनुसंधान केन्द्र के ओपी कालश ने बताया कि हिमाचल में हुई बर्फबारी के बाद चल रही उत्तरी हवाओं के कारण दिन का तापमान तेजी से गिर रहा है। इससे कारण मौसम केन्द्रों पर अधिकतम व न्यूनतम तापमान का अंतर कम हो रहा है। ऐसे में विंड स्ट्रॉम की स्थिति बन गई है। मौसम मेें आए परिवर्तन से ओस रूपी अमृत गिरने से नमी बढऩे से जहां फसलों की बढ़वार होगी।


घरों में बने गर्मागर्म व्यंजन

वातवरण में ठण्ड होने की वजह से घरों में गर्मागर्म व्यंजन बनाए गए। महिलाएं पूरे दिन किचन में रहकर परिवार वालों की फरमाइशें पूरी करती नजर आई। मौसम में ठण्ड होने की वजह से अधिकांश घरों में पकौडिय़ां व गांवों में बाजरे का खीचड़ा बनाया गया।

सूखी सर्दी का असर

कृषि उपनिदेशक एसआर कटारिया ने बताया कि न्यूनतम पारा जमाव बिन्दू से नीचे जाने से पौधों के तनों का पानी जम जाता है। इस दौरान हवाएं चलने से अगेती फसलों का तना भी टूट जाता है। जमाव बिन्दू तक पानी पहुंचने से कोशिकाएं फट जाती है। इससे फसल में नुकसान होता है। पाले की मार से फसलों को बचाने के लिए खेत में धुआं करना चाहिए व फलदार पौधों को पाले से बचाने के लिए पूर्व-पश्चिम की ओर थोड़ा खुला छोडक़र मूंज से पौधों को ढक दें और ड्रिप से पानी देते रहे। इसके अलावा एक एमएल व्यापारिक गंधक को एक लीटर पानी में घोलकर फसल व पौधों पर छिडक़ाव करना चाहिए।

30 प्रतिशत तक हुआ नुकसान

हवाएं रुकने व मौसम साफ रहने के साथ ही न्यूनतम तापमान में गिरावट आई है। इससे मंगलवार को बादल छंटने व हवाएं रुकने के कारण आने वाले दिनों में न्यूनतम तापमान में और गिरावट आ सकती है। इससे आने वाले दिनों में कड़ाके की ठंड रहेगी। क्षेत्र में इस समय चना व सरसों की अगेती फसल व आलू, टमाटर, मिर्च की पौध है। कई जगह बर्फ की अधिक मात्रा होने के कारण उत्पादन प्रभावित होगा। हालांकि गेहूं व जौ के ठंड का बढऩा फायदेमंद रहेगा। रबी की फसलों सहित सब्जियों के लिए दिन में गर्मी व रात में ठंड फायदेमंद रहती है। फसलों पर मौजूद बर्फ जमने से होने वाले वास्तविक नुकसान का एक दो दिन बाद ही पता चलेगा।