
अजय शर्मा
सीकर। दुनिया के कई देशों से डॉक्टरी की पढ़ाई कर पास होने वाले टॉपर अपने देश की विदेशी चिकित्सा ग्रेजुएट परीक्षा यानि (एफएमजीई) पास नहीं कर पा रहे हैं। दिसंबर 2024 की एफएमजीई परीक्षा में आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों में से करीब 70 फीसदी विफल हो गए।
दिसंबर एफएमजीई परीक्षा में 45,552 भावी डॉक्टर शामिल हुए। जबकि परीक्षा में 13,149 ही इसमें सफल हो सके हैं। एफएमजीई परिणाम में 31,236 फेल हो गए। वहीं 2,320 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी ही नहीं थी। हालांकि, दिसंबर एफएमजीई परीक्षा परिणाम के मुकाबले परिणाम प्रतिशत में उछाल आया है।
एक्सपर्ट वेदप्रकाश बेनीवाल ने बताया कि पांच जून 2019 के बाद विदेश से डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के लिए नीट अनिवार्य है। युवाओं में डॉक्टरी बनने की चाह की वजह से हर साल नीट परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।
नीट परीक्षा में औसतन 20 लाख युवा शामिल होते हैं। जबकि देश में डॉक्टरी की सीट 1,17,950 लगभग है। ऐसे में जिन विद्यार्थियों को देश में डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए सीट नहीं मिल पाती है वह विदेश में डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं।
जून 2024- 20.80
दिसंबर 2024- 29.62
जून 2023- 10.22
दिसंबर 2023- 22
जून 2022- 10.61
दिसंबर 2022- 30.8
जून 2021- 23.73
दिसंबर 2021- 23.91
जून 2020- 11.62
दिसंबर 2020- 21.25
(आंकडे़ं प्रतिशत में)
1. विदेश में डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए भी नीट अनिवार्य होने के बाद से लगातार एफएमजीई के परिणाम में लगातार सुधार।
2. एफएमजीई में फेल होने वाले अभ्यर्थियों के लगातार इस परीक्षा में शामिल होने की वजह से हर साल परिणाम प्रतिशत प्रभावित।
3. देश व विदेश दोनों से भविष्य में डॉक्टरी की पढ़ाई करने पर कॉमन परीक्षा होने की वजह से और बढ़ेगा इस क्षेत्र में क्रेज।
विदेश में डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए नीट अनिवार्य किए जाने के बाद हालात काफी बदले हैं। डॉक्टरी की पढ़ाई के साथ एमएमजीई की तैयारी करने वाले ज्यादातर युवा पहले या दूसरे चांस में पात्रता परीक्षा में सफलता हासिल कर रहे हैं। यदि पात्रता परीक्षा के लिए मौके तय कर दिए जाए तो और भी परिणाम प्रतिशत में सुधार आ सकता है।
- बीएल मील, कॅरियर काउंसलर, सीकर
Published on:
03 Feb 2025 07:29 am
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