26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

लापरवाही: जिले में सरल योजना की लाभ से वंचित 35 हजार श्रमिक

70 हजार पर ठहर गया पंजीयन

2 min read
Google source verification
35 thousand workers deprived of the benefits of simple plan

35 thousand workers deprived of the benefits of simple plan

सिंगरौली. जिले में दो सौ रुपए महीना बिजली बिल का लाभ लेने वालों की संख्या लंबे चौड़े प्रयासों के बाद भी 70 हजार पर आकर अटक गई। जिले मेें योजना के तहत लाभ देने के लिए लगभग एक लाख 10 हजार असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के पंजीयन का लक्ष्य तय किया गया मगर इस माह के आरंभ तक बिजली कंपनी की टीम व प्रशासनिक अमला मिलकर योजना का लाभ देने के लिए 70 हजार असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का ही पंजीयन कर पाए। इसी बीच पिछले सप्ताह विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के साथ ही आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई। इसके साथ ही चुनाव आयोग के आदेश पर इस योजना में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का पंजीयन भी रूक गया। लक्ष्य के तहत वंचित रह गए श्रमिकों को अब लगभग डेढ़ माह तक इंतजार करना होगा।

अब आचार संहिता बाधा
इन सब प्रयासों के नतीजे में पिछले माह तक जिले की पांचों तहसीलों में 70 हजार श्रमिकों का सरल योजना में लाभ देने के लिए आनलाइन आवेदन कराया जा सका। मगर लगभग ३५ हजार श्रमिक पंजीयन से छूट गए। इसी बीच पिछले सप्ताह चुनाव की घोषणा के बाद चुनाव आचार संहिता के कारण यह प्रक्रिया रोक दी गई। अब इस योजना में छूट गए श्रमिकों को विधानसभा चुनाव के बाद प्रक्रिया दुबारा शुरू होने तक इंतजार करना होगा।

अभियान का नहीं दिखा असर
शासन की ओर से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को लाभ देेन के लिए इसी वर्ष जून माह में सरल योजना लागू की गई। इसमें असंगठित क्षेत्र के श्रमिक परिवारों को दो सौ रुपए मासिक बिजली का बिल देकर इन परिवारों को लाभान्वित करना तय किया गया। योजना लागू होने के बाद जिले में बिजली कंपनी की टीम तथा प्रशासनिक अमले ने मिलकर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का पंजीयन कर उनका योजन में लाभ देने के लिए आनलाइन आवेदन कराने के लिए शहर व गांवों में विशेष अभियान चलाया। बिजली कंपनी की ओर से गांवों मेंं जाकर शिविर लगाए गए और वहां असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का पंजीयन कर उनके आनलाइन आवेदन के लिए भाग दौड़ की गई। इस काम में ग्राम पंचायतों में सरपंचों व ग्राम सचिवों की भी मदद ली गई।