
9 thousand disabled in MP's Singrauli
सिंगरौली. जिले में अब दिव्यांगों की स्थिति लाचार नहीं है। तस्वीर बदल रही है। दिव्यांग न केवल शारीरिक रूप बल्कि आर्थिक रूप से भी सक्षम हो रहे हैं। समाजिक न्याय विभाग व जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र का संयुक्त प्रयास दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनने में कारगर साबित हो रहा है। जिले में चिह्नित 9 हजार से अधिक दिव्यांगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने का दावा किया जा रहा है। डीडीआरसी ने भी उपकरणों के माध्यम से नि:शक्तजनों की शारीरिक अक्षमता को दूर किया है। जिलेभर में इस वित्तीय वर्ष में नि:शक्त विवाह प्रोत्साहन राशि के तहत 20 दिव्यांग हितग्र्राहियों को लाभ दिया गया है। वहीं शिक्षा प्रोत्साहन योजना में कई दिव्यांगों को अब तक लाभान्वित कर उन्हें आर्थिक रूप से मदद की जा रही है। ऐसे में नि:शक्तों को योजनाओं का सहारा उन्हें मददगार साबित हो रहा है। दिव्यांग के पिता ज्वाला सिंह निवासी बंजारी ने बताया कि पुत्री चल नहीं पा रही थी। योजनाओं का लाभ तो मिल रहा है लेकिन कोशिश थी कि वह चलने लगे तो यह बेहतर होगा। डीडीआरसी के विशेषज्ञों ने कैंप के जरिए दिव्यांग को पैर लगाकर उसे खुद के सहारे चलने के काबिल बनाया है।
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ब्लाकवॉर दिव्यांगों की संख्या
चितरंगी 2570
देवसर 2884
बैढऩ 2676
नगर निगम 1194
योग 9324
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यह मिल रहा लाभ:
- 600 रुपए प्रतिमाह दिव्यांगों के लिए पेेंशन
- 1 लाख रुपए दिव्यांग वर-कन्या दोनों की शादी के बाद
- 2 लाख रुपए दिव्यांग(लडक़ा/लडक़ी)से शादी करने पर
- 20 हितग्राहियों को इस वित्तीय वर्ष में शादी के बाद दिया लाभ
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यह हैं योजनाएं:
- इंदिरा गांधी नि:शक्त पेंशन
- सामाजिक सुरक्षा नि:शक्त पेंशन योजना
- दिव्यांग शिक्षा प्रोत्साहन राशि
- नि:शक्त विवाह प्रोत्साहन राशि
- बहुविकलांग आर्थिक सहायता योजना
वर्जन:-
जिलेभर में नौ हजार से अधिक दिव्यांगों को विभिन्न योजनाओं के तहत लाभान्वित किया जा रहा है। साथ ही नि:शक्तजनों को प्रत्येक माह छह सौ रुपए पेंशन दिया जा रहा हैै। शासन की ओर से दिव्यांगों के लिए चलाई जा रही योजनाओंं का पूरा लाभ उन्हें प्रदान किया जा रहा है।
अनुराग मोदी, प्रभारी सीइओ जिला पंचायत सिंगरौली।
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डीडीआरसी की कवायद:-
-52 कैंप लगाए गए।
-71 गांवों में संपर्क किया गया।
-1424 दिव्यांगों को चिह्नित किया गया।
-45 कृत्रिम अंग प्रदान किए गए।
-99 प्रत्यंग/ कैलिपर प्रदान किए गए।
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पैरों से दिव्यांग कृष्णा की नि:शक्तता हुई दूर, अब बच्चों में बांट रहे ज्ञान
- एक दुर्घटना में गवां दिया था दोनों पैर, उपकरण व प्रशिक्षण ने बदल दिया जीवन
सिंगरौली. तीन वर्ष पहले एक दुर्घटना में बारा चितरंगी के निवासी कृष्णा जायसवाल के दोनों पैर घुटने के नीचे से कट गए। इस घटना के बाद कृष्णा को लगा कि अब उन्हें जीवन भर नि:शक्तता के साथ जीवन व्यतीत करना पड़ेगा। करीब दो वर्ष तक उन्होंने दिव्यांग का जीवन व्यतीत भी किया, लेकिन अब वह न केवल शारीरिक व आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं। बल्कि आस-पास के बच्चों में ज्ञान भी बांट रहे हैं। यह संभाव हुआ जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र (डीडीआरसी) के सहयोग से। कृष्णा की माने तो गांव में भ्रमण पर पहुंची टीम ने उन्हें फिर से खुद के पैरों पर खड़े होने का भरोसा दिलाया। आश्वासन पर केंद्र पहुंचा तो वहां काउंसिलिंग के बाद उपकरण के लिए परीक्षण किया गया। पिछले वर्ष अक्टूबर महीने में उपकरण उपलब्ध कराने के साथ उन्हें चलने के लिए प्रशिक्षित किया गया। अब वह एक सामान्य व्यक्ति की तरह न केवल पैदल चल पाते हैं। बल्कि वाहन चलाने में भी उन्हें कोई समस्या नहीं होती है।
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दुकान भी कर रहे संचालित
कृष्णा के मुताबिक वर्तमान में वह एक किराना की दुकान संचालित कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ समय निकालकर बच्चों को पढ़ाई भी हैं। बच्चों को ट्यूशन देना उनकी इच्छा है। फीस दे पाने में असमर्थ अभिभावकों के बच्चों को नि:शुल्क ट्यूशन दे रहे हैं। कहा कि यह सब संभव हुआ रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा संचालित डीडीआरसी के माध्यम से।
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अब तक सैकड़ों के संवारे जीवन
डीडीआरसी में विशेषज्ञ मुकुल किशोर बताते हैं कि केंद्र में अब तक सैकड़ों को मदद मिली है। बच्चों से लेकर नवयुवक तक 50 से अधिक लोग ऐसे हैं जो नि:शक्तता को जीवन भर के लिए अभिशाप मानकर बैठ गए थे लेकिन पूरी तरह चलने में अक्षम लोगों को उपकरण के चलने चलने का प्रशिक्षण दिया गया है।
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Published on:
03 Dec 2022 08:57 pm
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