25 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अव्यवस्था : दर्द से कराहते दादा को ठेले पर लेकर ट्रामा सेंटर पहुंचा मासूम, जनिए क्या है पूरा मामला

- एंबुलेंस नहीं मिलने की लगातार आ रही शिकायतों के बाद भी स्वास्थ्य अधिकारी बने रहे उदासीन, सीएमएचओ ने सिविल सर्जन को सौंपी जांच, काल डीटेल भी खंगाली.....

3 min read
Google source verification
Ambulance service derailed in MP's Singrauli

Ambulance service derailed in MP's Singrauli

सिंगरौली. जिला अस्पताल ट्रामा सेंटर में एंबुलेंस व्यवस्था की पोल उस समय खुल गई जब दर्द से तड़पते हुए दादा को ठेले पर लेकर सात वर्षीय मासूम ट्रामा सेंटर पहुंचा। इसकी जानकारी कलेक्टर व स्वास्थ्य अधिकारियों को मिली तो ये सभी अफसर एंबुलेंस को सूचना नहीं देने की दलील देते रहे। हालांकि इसका वीडियो वायरल होने के बाद अधिकारियों ने सिविल सर्जन को जांच व जिला प्रबंधक एंबुलेंस 108 को कॉल डिटेल निकालने की जिम्मेदारी सौंपी है।
बता दें कि बिलौंजी निवासी दीनदयाल शाह का पैर टूट गया था। बीते शुक्रवार को पैर में अचानक दर्द शुरू हुआ। जिससे पीड़ा अधिक होने से मरीज कराहते हुए छटपटाने लगा। मासूम बच्चे से रहा नहीं गया। उसने ठेले पर दादा को लिटाकर मां को साथ लेकर ट्रामा सेंटर में उपचार कराने पहुंचा। जहां परिसर में ठेले पर मरीज लेकर धक्का देते हुए पहुंचे मासूम को देखकर लोग अधिकारियों को कोसने लगे। इसकी सूचना लोगों ने जिला प्रशासन को दे दिया। इसके बाद आनन-फानन में चिकित्सकों ने मरीज को आर्थो वार्ड में भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया है। वहीं ट्रामा सेंटर में मौजूद मरीज व उनके परिजनों ने सरकारी सिस्टम पर प्रश्रचिन्ह खड़ा करते हुए कहा कि जिले में एंबुलेंस 108 की व्यवस्था ध्वस्त हो गई है। सरकारी सिस्टम सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया है।
बॉक्स:
पहले भी सामने आ चुकी हैं घटनाएं:
इससे पहले भी एंबुलेंस की सेवा नहीं मिलने या फिर घंटों बाद पहुंचने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। हाल ही में नगवा गांव निवासी अनिता वैश्य का प्रसव के कुछ देर बाद तबीयत बिगड़ी और अत्यधिक रक्तस्त्राव होने लगा। जहां प्रसूता को एंबुलेंस के लिए एक घंटे तक इंतजार करना पड़ा। देर से पहुंचने पर प्रसूता ने दम तोड़ दिया था। यह घटना महज बानगी है। जिले में इस तरह से समय पर एंबुलेंस नहीं मिलने पर कई मरीज दम तोड़ देते हैं।
बॉक्स:
बेपटरी हुई एंबुलेंस व्यवस्था पर खड़े हो रहे सवाल
शहर का यह हाल ग्रामीण क्षेत्रों में एंबुलेंस की व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है। जिला मुख्यालय में प्रशासन व स्वास्थ्य अधिकारियों की मौजूदगी में यह शर्मशार कर देने वाली तस्वीर सिस्टम की लापरवाही को दर्शाता है। वर्तमान में स्थिति यह है कि जिले में 16 एंबुलेंस मौजूद हैं। जिसमें 3 एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस हैं। जो गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाते हैं। वहीं 19 जननी वाहन मौजूद हैं। फिर इस तरह की घटनाएं अफसरों की उदासीनता को बयां करती है।
बॉक्स:
जिम्मेदार अधिकारियों की दलील:
- मरीज के परिजनों ने एंबुलेंस को कॉल नहीं किया था। फिर भी कॉल डिटेल निकलवाई जा रही है। इसमें यह पता चलता है कि मरीज ने एंबुलेंस की सेवा के लिए फोन किया था। फिर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अरुण कुमार परमार, कलेक्टर सिंगरौली।
- सिविल सर्जन को जांच सौंपी गई है। मरीज को एंबुलेंस क्यों नहीं मिली। इसके बारे में बारीकी से जांच कर अवगत कराएं। यदि लापरवाही मिली तो एंबुलेंस व अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा।
डॉ. एनके जैन, सीएमएचओ सिंगरौली।
- मरीज का पैर टूटा हुआ था। जिसमें दर्द शुरू होने के बाद उसके परिजन ठेले पर लेकर ट्रामा सेंटर पहुंच गए। परिजनों ने एंबुलेंस वाहन को फोन नहीं किया था। हालांकि आर्थो वार्ड में मरीज का इलाज किया गया है।
डॉ. ओपी झा, सिविल सर्जन जिला अस्पताल।
- बिलौंजी निवासी मरीज के परिजनों ने एंबुलेंस को सूचना नहीं दिया था। यदि सूचना मिली होती तो एंबुलेंस मौके पर पहुंचती। हालांकि जिला प्रशासन के निर्देश पर कॉल डिटेल खंगाली जा रही है।
विमलेश नामदेव, जिला प्रबंधक एंबुलेंस 108
बॉक्स:
चिह्नित प्वाइंट -
बैढऩ, विंध्यनगर, खुटार, बरगवां, माड़ा, करामी, तिनगुड़ी, लंघाडोल, सरई, निवास, देवसर, कोरसर, चितरंगी, गोपला, करौंदिया, बगैया, कसर, मोरवा आदि।
फैक्ट फाइल:
बीएलएस की संख्या -13
एएलएस की संख्या - 03
जननी की संख्या - 19
जिलेभर में स्टाफ 120
-------------------------------