
Arbitrariness of revenue officials in MP's Singrauli
सिंगरौली. मंगलवार जनसुनवाई में सबसे अधिक शिकायतें कंपनियों के खिलाफ पहुंची हैं। साहब, विस्थापित कर दिया लेकिन सुविधाएं नहीं दे रहे हैं तो कोई भत्ता व रोजगार को लेकर कलेक्टर को शिकायत दिया है। इस बीच गंभीर शिकायत लेकर चितरंगी से दो दर्जन आदिवासी परिवार कलेक्टर की दरबार में न्याय की गुहार लगाने पहुंचे थे। गत वर्ष आदिवासियों को वनाधिकार पट्टा मिला था। जिसे चितरंगी के राजस्व अधिकारियों ने एक ही जमीन पर रसूखदारों को दूसरी बार पट्टा कर दिया है। समस्या गंभीर थी आदिवासी लोगों की भीड़ देखकर कलेक्टर भी हैरत में रह गए। उन्होंने जांच कराकर कार्रवाई का निर्देश दिया है। वहीं विस्थापितों की समस्या का समाधान कराने के लिए कलेक्टर राजीव रंजन मीना ने उपखंड अधिकारी को निर्देशित किया है।
साथ ही जनसुनवाई में बिजली, पानी सहित अन्य कई तरह की शिकायतें लेकर पीडि़त पहुंचे हैं। जनसुनवाई में अब लोगों को बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। उसके बाद भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। मंगलवार को कलेक्ट्रेट में आयोजित जनसुनवाई में सैकडों लोगों की भीड़ लगी हुई थी। जिसमें से अधिकतर चौथी से पांचवी बार आवेदन देने के लिए आए थे। इस दौरान लोगों का कहना था कि अब जनसुनवाई में सुनवाई ही नहीं होती है। कई मामलों में जिला प्रशासन व मातहतों को भी जानकारी नहीं होती। जबकि ऐसे मामले में जनसुनवाई में चौथी बार पहुंचते हैं। यही कारण है कि जनसुनवाई के मामले पेडिंग हो रहे है।
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रसूखदारों पर राजस्व अधिकारियों की दरियादिली
चितरंगी ब्लाक के ग्राम मोहगड़ी कोठार के आदिवासी परिवार के लंबे समय से वन विभाग की जमीन पर काबिज होने पर उन्हें गत वर्ष वनाधिकार पट्टा मिला था। उसी जमीन पर चितरंगी के राजस्व अधिकारियों ने स्थानीय रसूखदारों को दूसरी बार पट्टा कर दिया है। इसकी शिकायत लेकर मोहगड़ी कोठार निवासी चेत सिंह, राममिलन सिंह, तेजबली सिंह, हरिमंगल सिंह, अनिभरन सिंह, दिलबरन सिंह, बृजभान सिंह, सुग्गन सिंह, शिव प्रसाद सिंह व लाले सिंह कलेक्टर के पास पहुंचे थे। इसके अलावा डीएफओ से भी इस पूरे मामले की शिकायत की गई है।
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जनसुनवाई में पहुंची 140 शिकायतें
कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जनसुनवाई में 140 शिकायतें लेकर पीडि़त पहुंचे हैं। जन सुनवाई के दौरान खाद्यान्न नहीं मिलने, पेंशन एवं बेरोजगारी भत्ते जैसी सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने की शिकायतों का अंबार लगा रहा। शिकायत मिलने पर कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को शिकायती पत्र निराकरण के लिए सौंप दिया। मगर कलेक्टर की ओर से दिए गए पीडि़तों की शिकायत का विभाग के संबंधित अधिकारी निराकरण नहीं करते हैं। इसलिए पीडि़त कलेक्ट्रेट का चक्कर काटने को मजबूर हैं।
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Published on:
30 Aug 2022 08:42 pm
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