तहसील से नहीं भेजा गया अपडेट खसरा: पुराना खसरा भेजे जाने से बनी यह स्थिति
सिंगरौली. जमीन भी गई और मुआवजा भी नहीं मिला। लापरवाही किसी कि खामियाजा कोई और भुगत रहा है। बात मोरवा के उन विस्थापितों की कर रहे हैं, जिन्हें एनसीएल से मुआवजा मिलना है। तहसील के अधिकारियों की लापरवाही विस्थापितों के परेशानी की मूल वजह मानी जा रही है। मोरवा शहर के वार्ड 10 में विस्थापितों को जमीन के बदले कंपनी से मुआवजा मिलना है। पूर्व में कंपनी ने तहसील से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर मुआवजा देने की घोषणा की, लेकिन मुआवजे के लिए सार्वजनिक हुई सूची में कई भूस्वामियों का नाम नहीं होने से आपत्तियों का ढेर लग गया। आपत्ति की मूल वजह तहसील से पुराने दस्तावेजों को दिया जाना बना।
एनसीएल ने कर रखी है मांग
दस्तावेज पुराना होने के चलते मुआवजा से संबंधित सूची में उन लोगों का नाम शामिल हो गया, जो पूर्व में संबंधित भूमि के मालिक रहे। सूची सार्वजनिक होने बाद जब मूल भूस्वामियों ने आपत्ति दर्ज की तो कंपनी ने तहसील से अपडेट दस्तावेज मांगा। कंपनी को दस्तावेज मांगे हुए छह महीने से अधिक का वक्त बीत गया है, लेकिन अभी तक न ही कंपनी को अपडेट दस्तावेज मिल सका है और न ही कंपनी की ओर से मुआवजा वितरित कर पाना संभव हुआ है। स्थिति यह है कि भूस्वामी जमीन गंवाने के बाद मुआवजा मिलने की राह तक रहा है।
46 प्रकरणों का होना है सत्यापन
तहसील से अपडेट दस्तावेज प्राप्त नहीं होने के चलते 46 प्रकरणों में मुआवजा अटका है। इस तरह से कुल ९४ लोग प्रभावित हैं। खासतौर पर वह भूस्वामी प्रभावित हैं, जो मुआवजे से संबंधित सूची में शामिल नहीं हैं। मुआवजा कहीं पुराने भूस्वामी को न जारी हो जाए। इस बात को लेकर विस्थापित परेशान हैं और अधिकारियों का चक्कर लगा रहे हैं।
हाथ में नहीं है कोई कागज
मुआवजा की सूची से बाहर रह गए भूस्वामियों के परेशानी की एक वजह यह भी है कि उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है। रजिस्ट्री व ऋण पुस्तिका कंपनी में जमा है, लेकिन उनके पास कोई पावती नहीं है। विस्थापितों की माने तो कंपनी तहसील से दस्तावेज मिलने के बाद जल्द से जल्द मुआवजे के लिए पात्रों की सूची जारी करने की बात कर रही है।