
Farming of indigenous-foreign fruits and vegetables in garden of KVK
सिंगरौली. कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिकों ने प्रयोग आधारित खेती शुरू कर दी है। वैज्ञानिकों ने देश-विदेश के फल व सब्जी सहित सामान्य फसलों की खेती शुरू की है। वैज्ञानिकों की ओर से शुरू प्रयोग में कई ब्रोकली, कुन्नोवा, कुल्थी और ड्रैगन फ्रूट जैसे पौधे भी तेयार किए जा रहे हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. जय सिंह का कहना है कि जिन फसल व किस्मों पर प्रयोग सफल होगा। उन फसलों व किस्मों में किसानों को शामिल किया जाएगा। प्रयोग तीन से 5 वर्ष का है। प्रथम दो वर्ष में प्रयोग प्रक्षेत्र में होगा और फिर अगले तीन वर्ष में कुछ चुनिंदा किसानों से खेती कराई जाएगी। इन 5 वर्षों में बेहतर परिणाम मिले तो सामान्य किसानों को खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा।
थाइलैंड व नगालैंड से मंगाए पौधे
20 एकड़ के कृषि विज्ञान केंद्र को विकसित किया गया है। जिसके बाग को समृद्ध बनाने के लिए थाईलैंड व नगालैंड से पौधे मंगाए गए हैं।
ओबी व फ्लाईऐश में खेती पर भी प्रयोग
कृषि प्रक्षेत्र में कृषि वैज्ञानिकों ने कोल खदानों से निकलने वाली मिट्टी (ओबी यानी ओवर बर्डेन) व विद्युत उत्पादक कंपनियों से निकलने वाले फ्लाईऐश (कोयले की राख) पर भी खेती करने की योजना बनाई है। उद्देश्य यह जानना है कि कैसे इनमें सफल खेती हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रयोग के जरिए यह जानने की कोशिश की जाएगी कि बंद खदानों में ओबी व फ्लाईऐश से भरकर खेती की जाए तो सफल होगी या नहीं। वैज्ञानिकों का मानना है कि 25 से 50 वर्षों बाद यहां गहरी खदानों की संख्या काफी अधिक होगी। जिला उजड़े नहीं, इसके लिए यह प्रयोग किया जा रहा है। इससे ओबी व फ्लाईऐश का उपयोग भी हो सकेगा।
इन फलों की खेती
फसल वेरायटी
डै्रगन फ्रूट 01
पाइन एप्पल 01
वाटर एप्पल 01
अमरूद 12
आम 07
इन सब्जी की खेती
फसल वेरायटी
ब्रोकली 03
किन्नोवा 01
कुट्टू 01
रबी की खेती
फसल वेरायटी
ग्वार 01
कुल्थी 01
Published on:
14 Jan 2022 12:44 am
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