क्षमता से अधिक लोड होने पर ट्रांसफार्मर जलता है। जबकि संबंधित अधिकारियों को अवगतकराया जा चुका है कि अधिक पॉवर का ट्रांसफार्मर की जरूरत ग्रामीणों को है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि ट्रांसफार्मर जलने के बाद उसे बदलने की जि मा बिजली विभाग को है लेकिन यहां के ग्रामीण खुद ट्रांसफार्मर ले जाकर लगावाने की जहमत उठाते हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि विभाग के अधिकारी समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। जिसका खामियाजा ग्रामीण जनता को भुगतना पड़ता है।
पैसे इकठ्ठा कर मंगाते हैं ट्रांसफार्मर
जिम्मेदारी बिजली विभाग की और फजीहत ग्रामीणों की। ऐसे हालात में ग्रामीणजन बिजली कंपनी के अधिकारियों को कोसते रहते हैं। ट्रांसफार्मर जलने के बाद ग्रामीण क्रमश: सूची बनाकर गांव में चंदा इकठ्ठा करते हैं। इसके बाद ट्रांसफार्मर ले जाकर बिजली कर्मियों को पैसे देकर ट्रांसफार्मर लगवाते हैं। इससे यह साबित होता है कि अपने काम के प्रति विभाग रूचि नहीं ले रहा है।
रात के समय में रहते हैं भयभीत ग्रामीणों ने बताया कि गांव में बिजली नहीं होने से बरसाती सीजन के कारण गांव के लोग भयभीत रहते हैं। उन्हें बारिश के कीड़ों का डर सता रहा है। हालात भी ऐसे हैं कि भय के साये में रहना उनकी मजबूरी बन गई है। ग्रामीणों ने बताया कि क्षमता से कम पॉवर का ट्रांसफार्मर लगाने से बार-बार ट्रिप की समस्या बनी रहती है। सबसे बड़ी आफत बारिश के मौसम में होती है।