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पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे स्टोन क्रेसर

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने साधी चुप्पी, एनजीटी के आदेश हवा-हवाई, मानक दरकिनार।

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Suresh Kumar Mishra

Sep 28, 2016

singrauli news

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सिंगरौली
जिले में संचालित स्टोन क्रेसर से पर्यावरण को खतरा पैदा हो गया है। वजह, सारे पर्यावरणीय मानक को दरकिनार कर स्टोन के्रसर संचालित किए जा रहे हैं। इधर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी सिर्फ जांचकर कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने
जानकारी के मुताबिक, जिले में लगभग 90 स्टोन के्रसर संचालित हैं। उनमें से ज्यादातर संचालक मानक की अनदेखी कर संचालित कर रहे हैं। करीब 90 फीसदी से ज्यादा स्टोन क्रेसर संचालक वायु प्रदूषण नियंत्रण की व्यवस्था नहीं किए हैं। खासकर दूर-दराज संचालित के्रसर संचालक अपनी मर्जी से चला रहे हैं। ज्यादातर स्टोन के्रसर रसूखदरों के हैं। शायद,उनके लिए कायदा-कानून मायने नहीं रखता।

एनजीटी के आदेश बेअसर
एनजीटी भोपाल बेंच ने वर्ष 2015 में मानक को दरकिनार रख स्टोन क्रेसर संचालकों के खिलाफ सख्ती से संबंधी आदेश दिए थे। उन आदेशों का जिले में पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसे संचालकों के खिलाफ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी सख्ती नहीं दिखा रहा है। यहां बताते चलें कि एनजीटी ने अपने आदेश में कहा था कि जो स्टोन के्रसर संचालक वायु प्रदूषण नियंत्रण की व्यवस्था नहीं करते ,उन्हें क्लोजर नोटिस जारी किया जाए। मगर, जिम्मेदार कार्रवाई न कर हाथ पर हाथ रख बैठे हैं।


नहीं हुई बैठक
वायु प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था की बहाली को लेकर एनजीटी के आदेश के क्रम में जिले के सभी स्टोन क्रेसर संचालकों की बैठक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय में की जानी थी। मगर, अब तक बैठक ही नहीं की गई। इससे यह साबित होता है कि जिम्मेदार एनजीटी के आदेशों को पालन भी नहीं कर रहे हैं।


होना तो यह चाहिए

वायु प्रदूषण नियंण व्यवस्था के लिए स्टोन क्रेसर के चारों ओर बाउड्रीवाल का निर्माण किया जाना चाहिए।
स्टोन के्रसर के चारों ओर सघन वृक्षारोप होना चाहिए।
उत्सर्जन बिंदुओं पर जल का छिड़काव किया जाना चाहिए।
स्टोन क्रेसर को कवर्ड किया जाना चाहिए।

मगर, हो यह रहा

ज्यादातर स्टोन के्रसर के चारों ओर बाउड्रीवाल का निर्माण नहीं किया गया है।
सघन वृक्षारोपण भी नहीं किया गया है।
स्टोन क्रेसर को कवर्ड भी नहीं किया गया है।
उत्सर्जन बिंदुओं पर पानी का छिड़काव कभी नहीं किया जाता है।

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