
सिंगरौली. देवसर ब्लाक के घिनहागांव परसाही चटनी टोला गांव में नाले का दूषित पानी पीने से आदिवासी महिला की मौत के बाद जिम्मेदारों की नींद टूटी है। कलेक्टर के निर्र्देश पर रविवार को पीएचई के अधिकारी घिनहागांव पहुंचे हैं। पीडि़तों को इलाज के साथ पेयजल की व्यवस्था को अमला सक्रिय हो गया है।
पीएचई विभाग के जिम्मेदार अफसर गांव में पहुंचकर जहां बिगड़े हैंडपंप में सुधार कर रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग मरीजों का उपचार कराने की व्यवस्था में जुट गया है।बतादें कि नाले का पानी पीने से एक आदिवासी महिला की मौत हो गई थी। वहीं दर्जनभर गांव के आदिवासी डायरिया की बीमारी से पीडि़त हैं।
पत्रिका ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। इसके बाद जिला प्रशासन ने मामले को संज्ञान में लेते हुए स्वास्थ्य व पीएचई विभाग को सुविधाएं मुहैया कराने सख्त निर्देश दिया। कलेक्टर केवीएस चौधरी के निर्देश के बाद हरकत में आया महकमा रविवार की सुबह आनन-फानन में घिनहागांव पहुंचा। जहां बिगड़े हैंडपंपों की मरम्मत शुरू कर दी गई है। वहीं गांव में डायरिया से पीडि़त मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
यह था मामला
घिनहागांव परसाही चटनी टोला गांव में दूषित पानी पीने से पिछले दिनों पार्वती सिंह गोंड़ पति उमेश सिंह की मौत हो गई है। वहीं गांव के दर्जनभर आदिवासी लोग उल्टी-दस्त से पीडि़त हैं। इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को हुई तो गुपचुप तरीके से मामले को दबाने में जुट गए।लेकिन जब पत्रिका ने इससे संबंधित खबर प्रकाशित किया तो मामले को संज्ञान में लेते हुए कलेक्टर ने मौके पर ईई पीएचई विभाग व सीएमएचओ को गांव में भेजा है। जहां नाले का दूषित पानी पी रहे आदिवासी लोगों के लिए स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने का सख्त निर्देश दिया गया है।
सब कुछ कागज तक सीमित
बतादें कि जिले में ऐसे कई आदिवासी गांव हैं जहां के लोग नाले का पानी पी रहे हैं। इसकी जानकारी पीएचई विभाग को नहीं है क्योंकि विभाग के अफसर कागजों में पेयजल की समुचित व्यवस्था कर दिए हैं। हकीकत कुछ और देखने को मिलता है। इधर, स्वास्थ्य विभाग का मैदानी अमला गांवों में भ्रमण नहीं कर रहा है। यही वजह है कि डायरिया सहित गंभीर बीमारियों को पता नहीं चलता है।
Published on:
14 Oct 2019 03:14 pm
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