
world costly mango
सिंगरौली. आम के पेड़ों में लगे बौर से जबरदस्त उत्पादन की उम्मीद जगी थी, लेकिन मौसम की बेरूखी ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। पेड़ों में बौर आने के बाद बारिश ने तो अब फल लगने के बाद आसमान से बरसती आग ने आम के उत्पादन को प्रभावित किया है। आम के बागीचों में उम्मीद के अनुरूप एक तिहाई फल भी नहीं बचे हैं। उद्यानिकी विभाग के अधिकारी भी यह स्वीकार कर रहे हैं कि जिस तरह से आम के पेड़ों में बौर आए थे, उसकी तुलना में पेड़ों में नहीं के बराबर फल देखने को मिल रहे हैं।
मौसम प्रतिकूल होने के कारण बौर नष्ट हो गए और आम के पेड़ों में फल नहीं लगे। बारिश के प्रकोप से बचे पेड़ों में थोड़े बहुत जो फल लगे हैं वह 43 और 44 डिग्री तापमान में झुलस कर गिर रहे हैं। इससे आम के व्यवसाइयों और बागीचों के मालिकानों में निराशा देखने को मिल रही है। बताया जा रहा है कि इस वर्ष आम का लाखों का व्यवसाय प्रभावित होगा।
दूर के प्रांतों से बढ़ेगी आवक
व्यापारियों के मुताबिक जिले में वैसे भी बाहर से आम लाना पड़ता था, लेकिन इस बार आवक अधिक रखना होगा। इससे ग्राहकों को अधिक कीमत अदा करना होगा। जिले में रीवा से भी आम भारी मात्रा में आता रहा है, लेकिन वहां पर भी आम की फसल प्रभावित होने से कीमत में बढ़ोत्तरी तय मानी जा रही है। यूपी के सोनभद्र व वाराणसी का हाल भी कुछ ऐसा ही है। दूसरे प्रांतों के आम पर निर्भर रहता होगा।
बाजार में अभी नहीं दिख रहे आम
सामान्य तौर पर बाजार में अब तक कच्चे आमों की दस्तक हो जाती थी, लेकिन इस बार अभी केवल कुछ दुकानों पर ही आम देखने को मिल रहे हैं। वह भी ऐसे जिनमें गुणवत्ता नहीं के बराबर है। यह बात और है कि दूर के प्रांतों और कोल्ड स्टोरेज के आम की बाजार में मौजूदगी हो गई है। यही वजह है कि आम के रस और शिकंजी के कई नई दुकानों ने डेरा जमा लिया है।
Published on:
18 Apr 2022 07:27 pm
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