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पर्यावरण मंत्री ने कंपनियों की कार्यप्रणाली पर उठाई उंगली, बोले सीएसआर मद के खर्च की जांच कराएंगे

पर्यावरण पर आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि हुए शामिल....

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Workshop on environment-Fly Ash in Singrauli: Minister check CSR fund

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सिंगरौली. कंपनियां मालामाल हो रही हैं और जनता समस्याओं से जूझ रही है। सीएसआर मद का पैसा पता नहीं कहां जा रहा है। मुख्यमंत्री से बात कर इसकी जांच कराएंगे। प्रदेश के पर्यावरण एवं लोक निर्माण विभाग के मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कुछ ऐसे ही शब्दों के साथ कंपनियों की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाया। पर्यावरण मंत्री यहां एनटीपीसी में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।

मप्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एवं पर्यावरण विभाग की ओर से आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में संबोधन के दौरान मंत्री ने कहा कि कंपनियों की मनमानी के चलते यहां एक बड़े डैम की हत्या हो रही है। उसमें कंपनी से निकलने वाला प्रदूषित अवशेष छोड़ा जा रहा है। कार्यशाला के विषय ‘फ्लाईऐश का पर्यावरणीय प्रबंधन: उपयोग एवं भावी संभावनाएं’ पर विचार व्यक्त करते हुए मंत्री ने केंद्र की भाजपा सरकार पर भी कई बार टिप्पणी की।

मंत्री ने कहा कि फ्लाईऐश एक बड़ी समस्या है। इसका उचित प्रबंधन होना चाहिए। कहा कि इसके लिए सरकार की ओर से हर संभव प्रयास किया जाएगा। कार्यशाला में पर्यावरण मंत्री के अलावा पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल, संभागायुक्त अशोक भार्गव सहित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व पर्यावरण विभाग के आला अधिकारी उपस्थित रहे। उनकी ओर से भी पर्यावरण संरक्षण और फ्लाइऐश के उचित प्रयोग पर विचार व्यक्त किया गया।

वाहनों पर नया नियम लगाकर वसूली करा रही केंद्र सरकार
पर्यावरण मंत्री ने संबोधन के दौरान केंद्र की भाजपा सरकार भी वसूली कराने संबंधित टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि वाहन दुर्घटनाओं में लोगों की जान जा रही है, लेकिन पर्यावरण प्रदूषण भी लोगों की जान ले रहा है। लेकिन केंद्र सरकार का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। नियम वही बनाए जा रहे हैं, जिसमें जनता से वसूली हो। वाहन चालकों पर लाखों रुपए का जुर्माना किया जा रहा है।

सिस्टम नहीं टाल सकेगा प्रतिबंध का प्रस्ताव, जाएगी नौकरी
मंत्री वर्मा ने कहा कि पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कारकों पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव सिस्टम टालता रहा है, लेकिन मेरे कार्यकाल में सिस्टम का टालू रवैया नहीं चलेगा। पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले प्रत्येक कारक पर प्रतिबंध लगेगा। सिस्टम के अधिकारी उनके मंत्री रहने तक प्रतिबंध को टालने की बात सोचा तो नौकरी नहीं कर सकेंगे।

निर्माण कार्य में लाल ईंट का प्रयोग होगा प्रतिबंधित
फ्लाईऐश के अधिक से अधिक उपयोग की नीति जल्द लागू होगी। इस बात का दिलाशा देते हुए मंत्री ने कहा मकान बनाने सहित अन्य निर्माण कार्यों में लाल ईंट का प्रयोग प्रतिबंधित किया जाएगा। फ्लाईऐश की ईंट के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे ऐश की मांग बढ़ेगी और फ्लाईऐश से होने वाले प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी। मंत्री ने कहा कि जल्द ही इसको लेकर निर्देश जारी किया जाएगा।

सीधी-सिंगरौली हाइवे को लेकर केंद्र पर आरोप
सीधी-सिंगरौली हाइवे की दुर्दशा के लिए भी मंत्री ने केंद्र सरकार को भी जिम्मेदार ठहराया। साथ ही कहा कि जैसे भी हो जल्द से जल्द राहत दिलाएंगे। कोई न कोई जुगाड़ किया जाएगा। केंद्र सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि वह खुद और मुख्यमंत्री सडक़ को लेकर केंद्रीय मंत्री से मिले। बजट दिलाने और लापरवाही कर रहे ठेकेदार का ठेका निरस्त करने को कहा गया, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

विशेषज्ञों ने दिए सुझाव, सवाल-जवाब भी हुए
कार्यशाला में देश भर से आए विशेषज्ञों ने तकनीकी सत्र में अपने शोध व अनुभवों के आधार पर विद्युत उत्पादक कंपनियों से निकलने वाले फ्लाईऐश के उपयोग पर विचार रखा। विशेषज्ञों में फ्लाईऐश का सीमेंट उद्योग में, सडक़ निर्माण में, कृषि में फसल की उत्पादकता बढ़ाने में, डैम बनाने में व ईंट जैसे अन्य उत्पाद बनाने में प्रयोग का सुझाव दिया।

कार्यशाला के उद्घाटन के बाद आयोजित तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों ने अपने सुझाव दिए। इसके बाद प्रश्नोत्तरी सत्र में विशेषज्ञों ने लोगों के सवालों का जवाब दिया। सवाल फ्लाईऐश की उपयोगिता व उससे होने वाले नुकसान पर आधारित रहे। कंपनियों से जुड़े नीतियों पर भी कई सवाल पूछे गए। कार्यशाला के उद्घाटन व तकनीकी सत्र में बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी आरएस कोरी, एमपीआरडीसी के एमडी एस खाड़े, कलेक्टर केवीएस चौधरी व एसपी अभिजीत रंजन सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।