
कृषि मंडी के अभाव में राजस्थान के किसानों की पैदावार जा रही गुजरात
In the absence of agricultural market, the farmers of Rajasthan are going to Gujaratमंडार(सिरोही). सिरोही जिले में रेवदर उपखंड का मंडार क्षेत्र मूंगफली, आलू, बाजरा, सौंफ, टमाटर समेत हरी सब्जियों के उत्पादन में अग्रणी माना जाता है और जिंस की पैदावार भी खूब होती है। इसके बावजूद क्षेत्र में कृषि उपज मण्डी नहीं होने से क्षेत्र की सारी पैदावार गुजरात की मण्डी में जा रही है। क्षेत्र में कृषि मण्डी नहीं होने से किसानों को जिंस बेचने के लिए गुजरात जाना पड़ता है।
किसानों के मुताबिक यहां मंडार क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में जल स्तर, अनुकूल भूमि होने से अच्छी पैदावार होती है। बदलते समय के साथ किसानों के अब शिक्षित होकर अत्याधुनिक तौर तरीकों अपनाते हुए कम लागत के साथ बढिय़ा उत्पादन लेने से दो दशकों में आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ संसाधन भी बढ़े है।
इस बार लगातार बारिश होने से मूंगफली का उत्पादन जरूर पिछले सालों के मुकाबले कम हुआ है, लेकिन, हर साल की तरह पैदावार को गुजरात की मंडियों में लेकर जाना मजबूरी हो गया है। आलू, टमाटर व सब्जियों के लिए कोल्ड स्टोरेज तो मूंगफली समेत अन्य पैदावार के लिए कृषि मंडी का अभाव आज भी खल रहा है। किसानों को आजादी के बाद आज तक ये सुविधा नसीब नहीं हुई है। आने वाली सरकारों ने वादे, घोषणाएं तो खूब की, लेकिन कृषि मण्डी का अभाव किसान झेल रहे है।
मूंगफली से भरे ट्रैक्टर पहुंच रहे हैं गुजरात मंडी
गुजरात की गुंदरी की मंडी में प्रति दिन मूंगफली की करीब दस हजार से अधिक बोरियां पहुंचती है। दीपावली से लाभ पांचम तक मंडी अवकाश होने से मूंगफली से भरे ट्रैक्टरों के पहिए जरूर थमे थे। अब हर रोज सुबह किसान अपने ट्रैक्टरों में पैदावार भरकर पहुंचने लगे है। जिससे परिवहन के खर्च के साथ राजस्थान के किसानों को दाम भी सही नहीं मिलते है।
दीपावली के पहले दाम ऊंचे थे, जो अब प्रति बीस किलो दो सौ रुपए घटे है। गुंदरी मंडी के सर्वाधिक व्यवसायी भी मंडार क्षेत्र के है। वैसे पांथावाड़ा में भी मंडी होने से गुंदरी की मंडी मंडार क्षेत्र के किसानों के भरोसे है। गुजरात डीसा मंडार से पचार किमी दूर है, जहां अस्सी से नब्बे कोल्ड स्टोरेज है। क्षेत्र की स्मोर्न आलू की उपज डीसा जाती है। कोल्ड स्टोरेज व मंडी का अभाव किसानों को कमजोर बना रही है।
इन्होंने बताया...
दीपावली के पहले दाम साढ़े चौदह सौ प्रति बीस किलो थे, जो अब बारह से तेरह सौ हो गए है। मंडी में प्रति दिन दस हजार बोरियों की आवक है। वैसे लगातार हुई बारिश से उत्पादन में भारी कमी हुई है।
दिनेश कुमार सोरड़ा, मंडी व्यवसायी
Updated on:
02 Nov 2022 03:20 pm
Published on:
02 Nov 2022 03:14 pm
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