भक्ति में ही जीवन का सार-साध्वी यत्नदर्शिता
मंडार. साध्वी यत्नदर्शिता श्रीजी ने कहा धर्म ही जीवन का आधार है। साधु-संत समाज के लिए चलता-फिरता दवाखाना हैं। वे दिव्य प्रवचनों के माध्यम सें मानव के विभिन्न रोगों का निदान कर उनका धर्म की राह पर चलने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। वे मंगलवार सुबह चातुर्मास पूर्ण होने पर आयोजित साथसण परिवर्तन यात्रा के पूर्व लाभार्थी हितेश जैन व गमनलाल कोठारी परिवार की ओर से आयोजित मंगल पगलिया कार्यक्रम पर बोल रही थी। बाद में चतुर्विद संघ के साथ कारवां गुजरात साथसण की ओर बाजे-बाजे के साथ रवाना हुआ।
साध्वी ने कहा कि परमात्मा की भक्ति के अलावा दुनिया में सबकुछ शून्य है। धर्म ही मानव जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है। उसके बिना मानव खाली व अधूरा है। चातुर्मास में केवल भक्ति ही होती है। इससे पूर्व साध्वी जैन अपासरा से बाजे-गाजे व चतुर्विद संघ के साथ महावीर स्वामी जिनालय पहुंचीं जहां देव दर्शन व वंदन कर परमात्मा का पूजन किया। बाद में लाभार्थी गमनलाल कोठारी व हितेश जैन के निवास पर पहुंचकर दिव्य मंगल पगलिया कार्यक्रम हुआ। लाभार्थी परिवार की प्रेमलता, कविता, श्रेष्ठा व निष्ठा ने चावल से गवली बनाकर वंदन कर स्वागत किया। हितेश जैन परिवार की ओर से साध्वी को शॉल ओढ़ाकर बहुमान किया गया।
मंडार. साध्वी यत्नदर्शिता श्रीजी ने कहा धर्म ही जीवन का आधार है। साधु-संत समाज के लिए चलता-फिरता दवाखाना हैं। वे दिव्य प्रवचनों के माध्यम सें मानव के विभिन्न रोगों का निदान कर उनका धर्म की राह पर चलने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। वे मंगलवार सुबह चातुर्मास पूर्ण होने पर आयोजित साथसण परिवर्तन यात्रा के पूर्व लाभार्थी हितेश जैन व गमनलाल कोठारी परिवार की ओर से आयोजित मंगल पगलिया कार्यक्रम पर बोल रही थी। बाद में चतुर्विद संघ के साथ कारवां गुजरात साथसण की ओर बाजे-बाजे के साथ रवाना हुआ।
साध्वी ने कहा कि परमात्मा की भक्ति के अलावा दुनिया में सबकुछ शून्य है। धर्म ही मानव जीवन का मार्ग प्रशस्त करता है। उसके बिना मानव खाली व अधूरा है। चातुर्मास में केवल भक्ति ही होती है। इससे पूर्व साध्वी जैन अपासरा से बाजे-गाजे व चतुर्विद संघ के साथ महावीर स्वामी जिनालय पहुंचीं जहां देव दर्शन व वंदन कर परमात्मा का पूजन किया। बाद में लाभार्थी गमनलाल कोठारी व हितेश जैन के निवास पर पहुंचकर दिव्य मंगल पगलिया कार्यक्रम हुआ। लाभार्थी परिवार की प्रेमलता, कविता, श्रेष्ठा व निष्ठा ने चावल से गवली बनाकर वंदन कर स्वागत किया। हितेश जैन परिवार की ओर से साध्वी को शॉल ओढ़ाकर बहुमान किया गया।