लॉक डाउन में अधिकांश कार्य
प्रधानाचार्य ने भामाशाहों को प्रेरित कर पांच साल में स्कूल विकास में कई छोटे-बड़े कार्य करवाए। लॉक डाउन में अधिकांश कार्य करवाए। चार दीवारी ऊंची की गई ताकि अंदर कोई समाजकंटक घुस कर नुकसान नहीं करे। इस पर करीब चार लाख रुपए खर्च हुए। टीन शैड, प्रार्थना सभा स्थल, रंग रोगन, पेड़-पौधे समेत अन्य सुविधाएं जुटाईं। स्कूल परिसर के चारों तरफ स्लोगन, भित्ति चित्र व बरामदे में जाली लगवाई। स्कूल के चारों तरफ पेड़-पौधे ही दिखाई देते हैं। यहां पहली से 12वीं तक की कक्षाएं संचालित हंै। नामांकन 475 है। स्कूल परिणाम भी अच्छा है। विद्यार्थी अब शिक्षा विभाग की सभी गतिविधियों में भाग ले रहे हैं। पढ़ाई में अन्य शिक्षक भी मनोयोग से जुटे हैं।
प्रधानाचार्य ने भामाशाहों को प्रेरित कर पांच साल में स्कूल विकास में कई छोटे-बड़े कार्य करवाए। लॉक डाउन में अधिकांश कार्य करवाए। चार दीवारी ऊंची की गई ताकि अंदर कोई समाजकंटक घुस कर नुकसान नहीं करे। इस पर करीब चार लाख रुपए खर्च हुए। टीन शैड, प्रार्थना सभा स्थल, रंग रोगन, पेड़-पौधे समेत अन्य सुविधाएं जुटाईं। स्कूल परिसर के चारों तरफ स्लोगन, भित्ति चित्र व बरामदे में जाली लगवाई। स्कूल के चारों तरफ पेड़-पौधे ही दिखाई देते हैं। यहां पहली से 12वीं तक की कक्षाएं संचालित हंै। नामांकन 475 है। स्कूल परिणाम भी अच्छा है। विद्यार्थी अब शिक्षा विभाग की सभी गतिविधियों में भाग ले रहे हैं। पढ़ाई में अन्य शिक्षक भी मनोयोग से जुटे हैं।
इन्होंने बताया…
स्कूल में करीब पांच साल हो गए हैं। भामाशाहों को प्रेरित कर स्कूल में हर प्रकार के विकास कार्य करवाएं हंै। बोर्ड की परीक्षाओं का परिणाम भी अच्छा रहता है। कोशिश रहती है कि इस स्कूल में पढ़ा विद्यार्थी हर क्षेत्र में आगे रहे। हर ग्रामीण व भामाशाह स्कूल विकास के लिए समर्पित रहता है।
– अर्जुनराज पुरोहित, प्रधानाचार्य, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, अन्दौर।