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47 साल बाद भी धरातल पर नहीं उतरी माउंट आबू की सालगांव बांध परियोजना

SIROHI NEWS: 1977 में प्रस्तावित इस बांध परियोजना की 47 वर्ष में लागत 27 लाख से बढक़र 250 करोड़ तक पहुंच गई है।

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Sirohi News: माउंट आबू। प्रदेश के हिल स्टेशन माउंट आबू की लाइफ लाइन मानी जाने वाली सालगांव बांध परियोजना अभी दूर की कौड़ी साबित हो रही है। 1977 में प्रस्तावित इस बांध परियोजना की 47 वर्ष में लागत 27 लाख से बढक़र 250 करोड़ तक पहुंच गई है। वर्तमान में भी इसके टेंडर व वर्क ऑर्डर हो चुके, लेकिन वन विभाग से अनापत्ति मिलने के इंतजार में कार्य अटका हुआ है। बांध नहीं बनने से हर साल क्षेत्र का बारिश का पानी बहकर गुजरात चला जाता है।

1977 में 27 लाख की लागत से इस बांध परियोजना को अस्तित्व में लाने की कवायद शुरू हुई थी। इसके बाद लम्बे समय परियोजना फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी। गत सरकार की 2022-23 की बजट घोषणा के बाद 250 करोड़ 54 लाख की लागत की इस बांध परियोजना के ऑनलाइन टेंडर जारी किए और 16 मई 2023 को वर्क ऑर्डर भी जारी कर दिया। जिसमें ठेकेदार को 26 मई 2023 को कार्य आरंभ करने और 25 नवम्बर 2026 को कार्य पूर्ण करने के आदेश दिए गए, लेकिन डेढ साल बाद भी धरातल पर कार्य शुरू नहीं हुआ।

माउंट आबू की पेयजल समस्या होगी दूर

बांध बनने से माउंट आबू की पेयजल समस्या दूर होगी। हालांकि माउंट आबू में अपर कोदरा व लोअर कोदरा दो बांध हैं, लेकिन दोनों छोटे हैं। यह बांध 155.56 मिलियन घन फीट भराव क्षमता का है। इसके अस्तित्व में आने से पेयजल समस्या का लम्बे समय तक स्थाई समाधान की उम्मीद हैं। बांध से रिसने वाले पानी से काश्तकारों की भूमि सिंचाई, भू-क्षरण पर रोक लगने, वन्यजीवों के कंठ तर करने के लिए बड़े पैमान पर वाटर हॉल प्राप्त होने, भूगर्भीय जलस्तर में वृद्धि, वनौषधियों को नया जीवनदान मिलने सहित विभिन्न समस्याओं का समाधान होगा। पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

बांध का 27 लाख से 250 करोड़ का सफर

1977 में 27 लाख की लागत से बांध परियोजना की रूपरेखा बनी थी, जो 1979 में तकनीकी कारणों से निरस्त हो गई। 1980 में योजना पुन: शुरू, लेकिन 16 वर्ष तक ठंडे बस्ते में रही। 1996 में 11 करोड़ 45 लाख की लागत से योजना की फिर कवायद, 3 अगस्त 2000 को वन विभाग ने स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को भेजा, 26 फरवरी 2002 को योजना फिर निरस्त, 3 जनवरी 2006 को 33 करोड़ 16 लाख की पुन: संशोधित योजना बनी। 14 मई 2007 को वन विभाग ने फिर अनुशंषा की, 29 जून 2010 को बांध की लागत अधिक आने से योजना फिर निरस्त, 26 जून 2012 को संसदीय समिति ने मौका निरीक्षण किया। 29 जुलाई 2016 को सीएम के समक्ष मुद्दा उठा। राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड की हरी झंडी के बाद 15 मई 2017 को नेशनल वाइल्ड लाइफ बोर्ड की सैद्धांतिक स्वीकृति। 2018 में 250 करोड़ की डीपीआर बनाकर भेजी, जिसकी 2021 में प्रशासनिक स्वीकृति मिली। तत्कालीन मुख्यमंत्री की ओर से 2022-23 की बजट घोषणा के बाद बांध निर्माण के टेंडर जारी और 16 मई 2023 को ठेकेदार को कार्यादेश हुए। वन विभाग की ऑनलाइन स्वीकृति के इंतजार में अभी तक कार्य शुरू नहीं हो सका।

इन्होंने कहा

बांध की औपचारिकताएं पूरी कर 16 मई 2023 को पात्र ठेकेदार को कार्यादेश जारी कर दिया गया था। परियोजना के डूब क्षेत्र में आ रही वन भूमि की एवज में क्षतिपूर्ति भूमि अन्यत्र चिह्नित कर अन्य कार्रवाई पूरी हो चुकी है। वन विभाग की ओर से ऑनलाइन अनापत्ति मिलने के बाद बांध का कार्य शुरू किया जा सकेगा।
मनीष शर्मा, एईन, सिंचाई विभाग