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बारिश नहीं, नालों में बजरी से खुश है माउंट के वाशिन्दे

बारिश थमने के साथ ही लोग शहर के नालों से इकठ्ठी करने लगे बजरी, निर्माण-मरम्मत की अनुमति नहीं मिलने से दर्जनों घरों में नहीं हैं शौचालय

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बारिश नहीं, नालों में बजरी से खुश है माउंट के वाशिन्दे

बारिश नहीं, नालों में बजरी से खुश है माउंट के वाशिन्दे

माउंट आबू. माउंट आबू में दो माह से बारिश का दौर जारी है। तीन दिन तक अतिवृष्टि के बाद गुरुवार को अचानक बारिश का दौर थम गया। नालों व झरनों में पानी के साथ बहकर आई बजरी से जरूरतमंद तबके के लोगों के चेहरे जरूर खिल गए। सच तो यह है कि माउंट आबू में अच्छी बारिश से शहरवासी जितने खुश नहीं हैं, उससे ज्यादा नालों में आई बजरी से खुश है। गुरुवार को शहर के बीच से निकलते नाले में से अम्बेडकर, ढूंढाई समेत कई कॉलोनियों के लोग बजरी निकालने पहुंच गए। इनमें बुजुर्ग, महिलाएं व बच्चे शामिल हैं, जिन्होंने हाथों में पॉलिथीन के कट्टे व बर्तन थाम रखे थे। ज्ञातव्य है कि इको सेंसेटिव जोन, एनजीटी व सुप्रीम कोर्ट के नियम दिखाकर लोगों को मरम्मत व निर्माण की अनुमति नहीं दिए जाने से आबूरोड से यहां तक बजरी लाना सपने के समान है।

कहीं लोगों के घरों में नहीं है शौचालय

आजादी के 75 वर्ष बीतने के बावजूद हिल स्टेशन माउंट आबू के वाशिन्दें बिजली, पानी व शौचालय की समस्या को लेकर खासे परेशान हैं। कई कॉलोनियों के दर्जनों घरों में आज तक शौचालय नहीं बने हैं। नाले से बजरी लेने पहुंची अंबेडकर कॉलोनी निवासी शारदा ने बताया कि उसकी बड़ी-बड़ी बच्चियां आज भी शौच के लिए बाहर जाने को मजबूर हैं। जंगली जानवरों का भी डर रहता है। बारिश में बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। यह भी कड़वा सच है कि माउंट आबू में आज तक प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री आवास योजना भी नहीं पहुंच पाई।

महंगे दाम पर मिलती है निर्माण सामग्री

माउंट में निर्माण सामग्री की बिक्री पर रोक होने के कारण यहां सरकारी कार्य में लगे ठेकेदारों के मार्फत महंगे दामों पर निर्माण सामग्री मिलती है। रसूखदार तो अधिक मूल्य पर बजरी, सीमेंट व अन्य निर्माण सामग्री खरीद लेते हैं, पर गरीब तबके के लोग नहीं खरीद पाते।

इन्होंने बताया ...

मुझे भी पता चला है कि लोग नाले से बजरी इकट्ठा कर रहे हैं। कई घरों में शौचालय नहीं हैं। हम कलक्टर साहब से मिले तो उन्होंने बताया कि अभी मॉनिटरिंग कमेटी गठित नहीं होने से दिक्कत आ रही है। हम फिर इस मामले में मिलेंगे।

जीतू राणा, पालिकाध्यक्ष, माउंट आबू