गौरतलब है कि राज्य सरकार की ओर से राजकीय चिकित्सालयों में काम करने वाले चिकित्सकों को एनपीए के नाम पर वेतन के नाम पर अतिरिक्त अलाउंस दिया जाता है। इसका तात्पर्य यह है कि वे चिकित्सालय समय के अलावा समय में किसी प्रकार की प्रेक्टिस नहीं करेंगे और यदि किसी मरीज की जांच करेंगे तो उससे फीस के रूप में किसी प्रकार की राशि नहीं वसूली जाएगी, लेकिन हैरत की बात ये है कि इस अलाउंस को उठाने के बाद भी चिकित्सकों ने अपने घरों पर क्लिनिक खोल रखे हैं और प्रेक्टिस कर जांच के लिए आने वाले मरीजों से फीस वसूल रहे हैं।
एनपीए की सूची में ये नाम
राजकीय जिला चिकित्सालय में स्वयं प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. गोपालसिंह, डॉ. अखिलेश पुरोहित, डॉ. मानकचंद जैन, डॉ. जगदीश प्रसाद शर्मा, डॉ. वीणा रानी, डॉ. शैतान कुमार, डॉ. विजयसिंह रावत, डॉ. अनुपमलता जाखलिया, डॉ. पुष्पा मीना, डॉ. मनीषा चौधरी, डॉ. मुकेश कुमार, डॉ. चन्द्रेश लोहार, डॉ. रिजवान अहमद, डॉ. लक्ष्मणसिंह, डॉ. हर्षवर्द्धन सिंह, डॉ. भावेश शर्मा एवं डॉ. चंदनसिंह का नाम एनपीए उठाने वालों की सूची में शामिल है।
पत्रिका ने उठाया मुद्दा, अस्पताल प्रशासन सक्रिय
सरकार से एनपीए उठाने के बावजूद फीस वसूलने को लेकर पत्रिका ने 19 मई को एनपीए की सुविधा, फिर भी मरीजों से जांच के नाम पर ले रहे फीस शीर्षक से प्रमुखता से समाचार का प्रकाशन कर प्रशासन का ध्यान इस तरफ आकर्षित किया था। खबर का प्रकाशन होने के बाद अब चिकित्सालय में एनपीए उठाने वाले सभी चिकित्सकों के नाम बोर्ड पर चस्पा किए गए हैं।