करीब चार दशक पूर्व बसे गांधीनगर के वाशिंदे प्रशासनिक उपेक्षा के साथ केसरपुरा पंचायत पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि केसरपुरा पंचायत ने अपने बजट का एक पैसा इस क्षेत्र पर खर्च नहीं किया। विकास शुल्क बटोरने वाली पालिका भी विकास के कामों पर ध्यान नहीं देना चाहती।
जनकल्याणकारी योजनाओं से भी वंचित लोगों का कहना है कि यहां के अधिकतर लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिला है। वर्तमान में समूचे प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से पट्टे वितरित किए जा रहे हैं, पर गांधीनगर के वाशिन्दे इससे वंचित हैं। जबकि, यहां निवासरत लोगों में से कई लोगों के पास तो 1982 से लेकर नोटिस व सबूत है। फिर भी इन्हें अभी तक पट्टे नहीं मिले। आवास योजना, सार्वजनिक शौचालय तक का लाभ नहीं मिला। महिलाएं आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर है। कई गरीब परिवार ऐसे हैं, जिनके नाम बीपीएल की सूची में नहीं हैं।
नक्कार खाने में तूती की आवाज बना है विकास गांधीनगर कॉलोनी में ढंग की सडकें तक नहीं हैं। जो हैं वे खस्ताहाल हैं। नालियों की समुचित व्यवस्था नहीं है। क्षतिग्रस्त नालियों का गंदा पानी सड़क पर फैलने कीचड़ जमा रहता है। मच्छर पनपने से बीमारियां फैलने का अंदेशा बना रहता हैै।
कोई तो बताएं कि जाएं तो जाएं कहां कॉलोनी के लोगों की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि आखिर ये अपने काम के लिए फरियाद लेकर कहां जाएं। ग्राम पंचायत जाने पर उन्हें पालिका दफ्तर जाने को कहा जाता है। पालिका दफ्तर जाने पर अधिकारी कह देते है कि यह क्षेत्र हमारे क्षेत्राधिकार में नहीं आता। लोग कई सालों से अपने काम के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
हम सही काम करवाना चाहते है गलत नहीं लोगों ने उपखंड अधिकारी से आग्रह किया है कि वे स्वयं आकर कॉलोनी का निरीक्षण करें तो यह पता लग जाएगा कि आखिर इस क्षेत्र के लोग किस हाल में जी रहे है। अन्यथा अपने हक के लिए धरना ही अंतिम विकल्प होगा।
इनका कहना… जनसुनवाई में करेंगे निर्णय गांधीनगर के लोगों ने समस्याओं को लेकर ज्ञापन दिया है। गुरुवार को पंचायत समिति में होने वाली जनसुनवाई में अधिशासी अधिकारी व विकास अधिकारी की मौजूदगी में चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा। लोगों की यदि कोई समस्या है तो उसका हर संभव निराकरण करवाने का प्रयास किया जाएगा।
– भागीरथराम चौधरी, उपखंड अधिकारी, शिवगंज