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सीतापुर। इलाके में हुए सड़क हादसों में तेज रफ्तार ने न सिर्फ चार लोगों की जान ली, बल्कि दो परिवारों के चिराग हमेशा के लिए छीन लिए। इन परिवारों को दुर्घटना ने कभी न भरने वाले जख्म दिए है। एकाएक हुए हादसों के कारण परिवारों के होश उड़ गए हैं। कोई चीख-चीख कर रो रहा था तो कोई अभी भी वापस लौटने की आस लगाए बैठा हुआ था।
सदरपुर में हुए हादसे में जान गवाने वाले विनीत के परिवार में उसके पिता राजेश, माता सुशीला देवी, बहन गोल्डी 12 एवं कुमकुम 7 हैं। विनीत कक्षा दस का छात्र था और चंद दिनों पूर्व ही परीक्षा देकर लौटा था। विनीत से उनके माता पिता के अलावा दोनों बहनों को भी खासा उम्मीदें थी। मांगलिक कार्यक्रम में जाने के बाद परिवार के लोग उसके लौटने की आस लगाए हुए बैठे थे। विनीत तो नहीं लौटा, लेकिन उसकी मौत की खबर जरूर आई।
खबर लगते ही परिवार में मानो जैसे तूफान आ गया। बहनों व मां का रो रो कर बुरा हाल है। कुछ ऐसा ही मंजर सोमवार को जिला अस्पताल में उस वक्त दिखाई दिया, जब रामकोट में ऑटो पलटने से घायल हुए हशीब को चिकित्सकों ने मृत घोषित किया।
हशीब लखनऊ में बढ़ईगिरी का काम करता था और चंद दिनों पहले ही वापस लौटा था। वह अपने माता पिता का इकलौता सहारा था। सोमवार को वह आधार कार्ड बनवाने के लिए सीतापुर आ रहा था, टैंपो चालक की लापरवाही हशीब के लिए काल बन गई।
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