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अब इन सुरक्षित सीटों को लेकर मचा दंगल, चुनाव आयोग ने  बिना किसी अध्यादेश के सीट कर दी आरक्षित

आयोग ने माना हुई चूक, निर्वाचन आयोग के अधिकारी कर रहे हैं लगातार बैठक

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Ashish Kumar Shukla

Jan 07, 2017

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सोनभद्र. सूबे में चुनाव आयोग द्वारा विधासभा की तारीखों के एलान के बाद सीटों की प्रकाशित सूची में दुद्धी तथा ओबरा को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित करने की पुष्टि के बावजूद अभी भी इसके आरक्षण को लेकर स्थिति साफ नहीं हुई है। हालांकि दुद्धी तथा ओबरा विधान सभा के कई जनप्रतिनिधि इस संबंध में अपनी बात रखने के लिए भारत निर्वाचन आयोग में गुरूवार को ही पहुंच गये थे। चूंकि ओबरा तथा दुद्धी को अनसूचित जनजाति के लिए आरक्षित करने के लिए 13 जनवरी 2014 को नोटिफिकेशन जारी हुआ था इसके बाद सारे नियम कानून को अपनाते हुए अखबारों में भी इसका गजट हुआ था।

इसी बीच लोकसभा का चुनाव हुआ तथा सत्ता में बीजेपी की सरकार आ गई। बीजेपी सरकार ने इस संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रो में अनुसूचित जाति और जनजाति प्रतिनिधित्व का पुनः समायोजन (तीसरा) विधेयक, 2013 बिल को 4 जुलाई 2014 को विधायी अनुभाग द्वारा प्रकाशित संसदीय समाचार भाग-2 की संख्या 52185 के तहत राज्य सभा के 232वें सत्र के दौरान वापिस ले लिया जाना बताया।

इसका कारण प्रस्ताव पर विधि एवं कानून मंत्रालय सहित संसद की भी सहमति नहीं बन पाना बताया गया। जिसके बाद पक्का हो गया था कि ये दोनों विस में आरक्षण की स्थिति 2012 की तरह पूर्ववत रहेगी साथ ही 3 फरवरी 2016 को आरटीआई के जरिए भारत निर्वाचन आयोग ने ओबरा विस को सामान्य तथा दुद्धी को अनसूचित जाति के लिए आरक्षित बताने का काम भी किया है। इसी आरटीआई में यह भी स्पष्ट किया गया कि जब तक कोई अध्यादेश अथवा अधिनियम संसद द्वारा पारित नहीं हो सकता तब तक विधान सभा तथा लोक सभा की स्थितियों में फेरबदल संभव नहीं है।

ऐसे में भले ही आयोग द्वारा ओबरा तथा दुद्धी को एसटी दिखाया जा रहा है लेकिन इसमें अभी भी फेरबदल की भारी गुंजाइश है। इस मसले को गंभीरता से लेते हुए निर्वाचन आयोग के अधिकारी लगातार बैठक भी कर रहे है। आयोग के कानूनी सलाहकार एचके मेहदीरस्ता ने भी स्वीकार किया कि इस मामले में कुछ पेंच है जो देर सबेर दूर कर लिया जायेगा। वहीं रेनुकूट नगर पंचायत के चेयरमैन अनिल सिंह ने "पत्रिका "को दूरभाष पर बताया कि निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने ओबरा व दुद्धी विधान सभा के आरक्षण पर त्रुटि को स्वीकार किया है जिसके सम्बन्ध में शीघ्र ही संशोधित सूची जल्द प्रकाशित की जायेगी। लेकिन इस मामले पर चुनाव आयोग की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गयी है जिसकी वजह से अभी संशय बरक़रार है।

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