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जिंदल यूनिवर्सिटी रेप केस: सुप्रीम कोर्ट ने रोका आरोपियों की सजा का निलंबन

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सोनीपत की जिंदल यूनिवर्सिटी में बलात्कार के मामले में दोषी करार दिए तीन युवाओं की सजा निलंबित कर दी थी

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चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सोनीपत की जिंदल यूनिवर्सिटी में बलात्कार के मामले में दोषी करार दिए तीन युवाओं की सजा निलंबित कर दी थी। हाईकोर्ट के इस फैसले को प्रतिवादी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।

मामले में युवाओं को जिला अदालत ने बलात्कार और ब्लैकमेल के आरोप में दोषी करार दे इनमें से दो को 20 वर्ष और एक को सात वर्ष की सजा सुनाई गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि पीडि़ता के बयान से दोनों ही पक्षों की विकृत मानसिकता और असंयमी रवैया सामने आया है। इस आधार पर हाईकोर्ट ने सजा निलंबित कर दी थी।

हाई कोर्ट ने कहा, कि, पीडि़ता के बयान से दोनों ही पक्षों की विकृत मानसिकता और असंयमी रवैया सामने आया है। इस आधार पर हाई कोर्ट ने सजा निलंबित कर दी थी। हाई कोर्ट ने दोषी करार दिए तीनों युवाओं की सजा चाहे निलंबित कर दी थी, लेकिन इन तीनों ही युवाओं को पीडि़ता को 10 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने के जो ट्रायल कोर्ट ने आदेश दिए हैं वह राशि इन तीनों युवाओं से ही वसूले जाने के साथ इन तीनों की किसी मनोचिकित्सक से काउंसलिंग करवाए जाने के भी आदेश दिए थे।

हाई कोर्ट ने इन तीनों के व्यवहार को सुधारने के लिए दिल्ली के आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल सइंसेस (एम्स) को जिम्मेदारी दी थी। हाई कोर्ट ने पीडि़ता और दोषी इन दोनों ही पक्षों का असंयमी रवैया और मानसिकता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पीडि़ता के बयान से ही यह सामने आया है।

बता दें कि,यह मामला तब सामने आया था जब सोनीपत की ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन के समक्ष शिकायत दर्ज करवा आरोप लगाया था कि, उसका एक पूर्व मित्र हार्दिक सिकरी उसे पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से ब्लैकमेल कर रहा है, क्योंकि उसके पास उसकी एक नग्न फोटो है। इस फोटो को सावर्जनिक करने की धमकियाँ दे हार्दिक खुद और अपने दो दोस्तों करन और विकास के साथ मिलकर उसका यौन शोषण कर रहा है। इस मामले में सोनीपत की ट्रायल कोर्ट ने 24 मार्च को हार्दिक और करन को 20-20 वर्ष और विकास को 7 वर्ष कैद की सजा सुनाई थी। इसी सजा के खिलाफ इन तीनों दोषी युवाओं ने हाई कोर्ट में अपील की थी।

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केस की क्रॉस एग्जामिनेशन सहित पीडि़ता और दोषी करार दिए गए युवाओं के बयान का अध्ययन किया,सामने आया कि,पीडि़ता को पहले युवक ने अपनी नग्न तस्वीर भेजी थी और उसके बाद पीडि़ता को भी अपनी तस्वीर भेजने को कहा था काफी दबाव के बाद पीडि़ता ने भी अपनी फोटो भेज दी फिर इसी फोटो के आधार पर पीडि़ता ने ब्लैकमेल और बलात्कार करने का आरोप लगाया है।

हार्दिक द्वारा सेक्स टॉय खरीदने की मांग पर पीडि़ता ने यह मांग पूरी की थी ।पीडि़ता ने अपने बयान में कबूल किया था की न सिर्फ बियर बल्कि डग्स भी लेती रही है। हाई कोर्ट ने कहा था कि यह मामला एक त्रासदी है जिसमें युवा की असंयमित और विकृत मानसिकता ही सामने आई है। जिसका खामियाजा इनके परिवारों को भुगतना पड़ा है।

ऐसे में हाई कोर्ट इस मामले में सुधारवादी नजरिया लेते हुए इन तीनों दोषियों को मनोचिकित्सक से काउंसलिंग करवाए जाने का आदेश देती है इसकी जिम्मेदारी हाई कोर्ट ने एम्स को दी थी। इनके इलाज की पूरी जानकारी हाई कोर्ट को दिए जाने के आदेश दिए गए थे। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने तीनों दोषी युवाओं को अपने पासपोर्ट हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करवाए जाने के भी आदेश दिए थे। मामले में प्रतिवादी पक्ष ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है।

पूरा मामला
11 अप्रैल 2015 को ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी में गैंगरेप का सनसनीखेज मामला सामने आया था। यूनिवर्सिटी में लॉ डिपार्टमेंट के तीन छात्रों ने यूनिवर्सिटी की 20 साल की छात्रा को ब्लैकमेल कर दो साल तक उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए विवश किया था। बीबीए की छात्रा ने 11 अप्रैल 2015 को राई थाना में गैंगरेप का मामला दर्ज कराया था। छात्रा ने आरोप लगाया था कि तीनों के कब्जे में उसकी आपत्तिजनक तस्वीर है।

आरोपी नवंबर 2013 से ब्लैकमेल कर उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए विवश कर रहे हैं। तीनों आरोपी लॉ डिपार्टमेंट के अंतिम वर्ष के छात्र थे। उनके खिलाफ गैंगरेप और आपराधिक साजिश रचने का मामला दर्ज किया गया था। छात्रा ने बताया था कि सोनीपत के आरोपी हार्दिक सिकरी ने उससे कई बार संबंध बनाए और आरोपी करण छाबड़ा ने दो बार और विकास गर्ग ने एक बार उसका शारीरिक शोषण किया था। पुलिस ने मामले में हार्दिक सिकरी, विकास गर्ग और करण छाबड़ा के खिलाफ गैंगरेप सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।

सोनीपत कोर्ट ने सुनाई थी ये सजा
26 मई 2017 को मामले में सोनीपत कोर्ट ने 2 दोषियों को 20-20 साल और तीसरे दोषी को 7 साल कैद की सजा सुनाई थी। तीनों दोषियों को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुनीता ग्रोवर की अदालत ने दो दिन पहले ही दोषी करार दे दिया था। मामले में दो दोषियों पर 20-20 हजार और एक पर 10 हजार रुपए जुर्माना भी किया गया है। जुर्माना न भरने की सूरत में 10 महीने की अतिरिक्त कैद की सजा भुगतनी होगी।

दोषियों के मोबाइल,लैपटॉप से मिले विक्टिम के अश्लील फोटो, उसे भेजे गए मैसेज, फोरेंसिक जांच रिपोर्ट और 43 लोगों की गवाही सजा दिलाने में अहम साबित हुई थी। 43 गवाहों में 15 यूनिवर्सिटी के ही कर्मचारी थे। हार्दिक और कर्ण के खिलाफ आईपीसी 376डी और विकास के विरुद्ध 376 के तहत केस दर्ज किया गया था। इन धाराओं में अधिकतम सजा 20 और 7 साल ही बनती है, वही इनको दी गई थी।