
दुनियाभर में 2.76 करोड़ लोग जबरन श्रम करने को मजबूर
जिनेवा। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार 2021 में दुनियाभर में 2.76 करोड़ लोग किसी भी दिन जबरन श्रम करने को मजबूर थे। यह विश्व में 1,000 लोगों पर 3.5 के बराबर है। 2016 से 2021 के बीच ऐसे लोगों की संख्या में 27 लाख की बढ़ोतरी हुई है। तीन साल पहले प्रभावितों में से 85 फीसदी निजी तौर पर थोपी गई जबरन मजदूरी में उद्योग, सेवा और खेती से जुड़े काम कर रहे थे। जबरन श्रम से सालाना 236 अरब डॉलर का अवैध मुनाफा होता है। 2014 के बाद से ऐसे मुनाफे में 37 फीसदी की वृद्धि हुई है।
एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सर्वाधिक जबरन श्रम:
'मुनाफा और गरीबी: जबरन श्रम का अर्थशास्त्र' शीर्षक वाली रिपोर्ट के मुताबिक जबरन श्रम एक व्यापक वैश्विक मुद्दा है। 1.5 करोड़ लोगों के साथ एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 2021 में मजबूर श्रम में रहने वाले लोगों की अब तक की सबसे अधिक संख्या थी, जो वैश्विक कुल के आधे से अधिक के लिए जिम्मेदार है। इसके बाद यूरोप और मध्य एशिया का स्थान है। सऊदी अरब और कतर में भारतीय श्रमिकों सहित अन्य श्रमिकों के बीच यह सर्वेक्षण किया गया।
सबसे ज्यादा वेतन रोककर होता है शोषण:
तीन साल पहले 63 लाख लोगों को व्यावसायिक यौन शोषण की स्थितियों का सामना करना पड़ रहा था। इन हालातों में फंसे पांच में से लगभग हर चार पीड़ित (78%) लड़कियां या महिलाएं थीं। कुल मामलों में से चार में से एक (27%) बच्चे थे। जबरन मजदूरी कराने वाले, लोगों को उनकी इच्छा के विरुद्ध काम करने के लिए कई तरीकों से मजबूर करते हैं। जैसे वेतन को जानबूझकर रोकना जबरदस्ती श्रम करवाने का सबसे आम (36 %) रूप है। इसके अलावा नौकरी से निकाल दिए जाने का डर बनाकर भी शोषण किया जाता है।
क्षेत्रानुसार जबरन श्रम करने वालों की तादाद
एक्सपर्ट व्यू:
जबरन श्रम, गरीबी और शोषण के चक्र को कायम रखता है। साथ ही मानवीय गरिमा पर आघात करता है। पहले से स्थिति और भी खराब हुई है। जबरन श्रम, भ्रष्टाचार और आपराधिक नेटवर्क को मजबूत कर शोषण को बढ़ावा दे सकता है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस अन्याय को समाप्त करने के लिए तत्काल एक साथ आगे आना चाहिए।
गिल्बर्ट एफ. होंगबो, महानिदेशक, आइएलओ
Published on:
21 Mar 2024 11:32 am
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