निगहबान
संदीप पुरोहित
जोधपुर. सूर्यनगरी के प्राचीन जलाशयों को बचाने की राजस्थान पत्रिका की मुहिम को लगातार जनसमर्थन मिला है। गुलाब सागर को लेकर शहर के वाशिंदे पत्रिका के आह्वान पर जिस प्रकार आगे बढ़े, वह अपने आप में एक अनूठा उदाहरण है। गौरतलब है कि लंबे अर्से से उपेक्षित 234 साल प्राचीन गुलाब सागर की दुर्दशा को लेकर राजस्थान पत्रिका के अभियान के तहत 25 नवम्बर 2022 को विशाल दीपदान आयोजन किया गया। यह सरकार और प्रशासन को जगाने का प्रयास था। जोधपुर के प्राचीनतम जलाशय गुलाबसागर को लेकर जब पत्रिका ने मुहिम छेड़ी तो शासन-प्रशासन की आंख खुली। अगर लक्ष्य पावन हो और साध्य भी पावन हो तो निश्चिय ही उसको जनता का आशीर्वाद मिलता है। देखते ही देखते पत्रिका के गुलाबसागर बचाओ अभियान को भारी समर्थन मिलने लगा। पत्रिका के अभियान का कई स्थानीय जन प्रतिनिधियों ने भी समर्थन किया।
अफसोस की बात है कि नगर निगम अपनी अकर्मण्यता को छिपाने के लिए बजट का रोना रोता रहा और इसकी ओर दशकों से कोई विशेष ध्यान नहीं दिया। निगम के आला अधिकारियों और न ही निर्वाचित प्रतिनिधियों के पास गुलाब सागर, रानीसर, पदमसर और फतेह सागर के पुनरुत्थान का न ही कोई ब्ल्यू प्रिंट है और न ही कोई विजन है, पर पत्रिका के लगातार प्रयासों से मेहनत रंग लाई। आवाज राज्य सरकार तक पहुंची। सरकार ने गंभीरता दिखाई। प्राचीन जलाशयों के संरक्षण के लिए आगे आई। सरकार की चिंता बजट प्रावधानों में साफतौर पर परिलक्षित हो रही है। सभी की भावना को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न केवल गुलाब सागर बल्कि रानीसर, पदमसर और फतेह सागर के जीर्णोद्धार-सौंदर्यीकरण के लिए पांच करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया है। सरकार के इस सहयोग के लिए साधुवाद। शहर के इन प्राचीन जलाशयों को कुछ सहारा मिलेगा, लेकिन इनके समग्र संरक्षण के लिहाज से यह राशि पर्याप्त नहीं है। अभी थोड़ा मिला है बहुत बाकी है। राज्य सरकार के बजट में शहर के प्राचीन जलाशयों के सौंदर्यीकरण के लिए दी गई राशि कम है, लेकिन इससे संरक्षण के प्रयासों को मजबूती मिलेगी...गति मिलेगी। राजस्थान पत्रिका की इस मुहिम को मिले जन आशीर्वाद से हम सभी अभिभूत हैं। पत्रिका अपने पाठकों के हितों के संरक्षण के लिए सदैव आवाज उठाता रहा है। जलाशयों के संरक्षण के यह मुहिम खत्म नहीं हुई है, बल्कि यह तो अभी शुरू हुई है। आशा करते हैं कि आपका यह आशीर्वाद आगे भी मिलता रहेगा।