दुर्गा खोटे ने अपने पांच दशक से भी अधिक लंबे कैरियर में हिन्दी और मराठी की लगभग दो सौ फिल्मों में काम किया। इसके अलावा उन्होंने अपनी कंपनी फैक्ट फिल्म्स और फिर दुर्गा खोटे प्रोडक्शंस के बैनर तले तीस साल से अधिक समय तक कई लघु फिल्मों, विज्ञापन फिल्मों, वृत्तचित्रों और धारावाहिकों का निर्माण भी किया। छोटे पर्दे के लिए उनका बनाया गया सीरियल वागले की दुनिया दर्शकों के बीच क ाफी लोकप्रिय हुआ था। दुर्गा खोटे ने मराठी भाषा में मी दुर्गा खोटे नाम से मराठी भाषा में अपनी आत्मकथा भी लिखी जो काफी चर्चित रही। बाद में आई दुर्गा खोटे नाम से इसका अंग्रेजी अनुवाद भी किया गया। भारतीय सिनेमा में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें 1983 में सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1968 में दुर्गा खोटे को पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाली महान अभिनेत्री 22 सितम्बर 199। को इस दुनिया को अलविदा कह गईं।