12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

‘घोस्ट-टच’ से दूर बैठे ही यूजर्स के निजी डेटा में सेंध लगा रहे हैकर्स

इस हमले में हमलावर टचस्क्रीन पर टैप या स्वाइप करने के लिए इलेक्ट्रोमैगनेटिक सिग्नल्स का प्रयोग करते हैं और फोन के अनलॉक होने पर यूजर्स के निजी डेटा या पासवर्ड में सेंध लगा देते हैं या मैलवेयर भी इंस्टॉल कर सकते हैं।

2 min read
Google source verification

जयपुर

image

Kiran Kaur

May 22, 2023

'घोस्ट-टच' से दूर बैठे ही यूजर्स के निजी डेटा में सेंध लगा रहे हैकर्स

'घोस्ट-टच' से दूर बैठे ही यूजर्स के निजी डेटा में सेंध लगा रहे हैकर्स

नई दिल्ली। साइबर अपराध गंभीर मुद्दा है, जो लोगों और संस्थाओं के लिए समान रूप से बड़ा खतरा बना हुआ है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि हैकर्स 'घोस्ट-टच' का प्रयोग कर दूर बैठे ही स्मार्टफोन को अनलॉक कर रहे हैं। साइबर सुरक्षा कंपनी नॉर्डवीपीएन के शोधकर्ताओं ने मोबाइल फोन यूजर्स से इन हमलों में वृद्धि के कारण सतर्क रहने का आग्रह किया है। इस हमले में हमलावर टचस्क्रीन पर टैप या स्वाइप करने के लिए इलेक्ट्रोमैगनेटिक सिग्नल्स का प्रयोग करते हैं और फोन के अनलॉक होने पर यूजर्स के निजी डेटा या पासवर्ड में सेंध लगा देते हैं या मैलवेयर (ऐसा सॉफ्टवेयर जो किसी कंप्यूटर या अन्य सॉफ्टवेयर को नुकसान पहुंचाने के लिए बना हो) भी इंस्टॉल कर सकते हैं।

कनेक्शन बनते ही चोरी होने लगता है डेटा :

'घोस्ट-टच' की खोज झेजियांग यूनिवर्सिटी (चीन) और टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डार्मस्टाड (जर्मनी) के विशेषज्ञों ने की थी। टचस्क्रीन हैकिंग के लिए सबसे आम स्थान लाइब्रेरी, कैफे या कॉन्फ्रेंस लॉबी जैसे सार्वजनिक स्थान हैं। यूजर्स यहां अपने स्मार्टफोन को टेबल पर उल्टा करके रख देते हैं। ऐसे में हैकर पहले से ही टेबल के नीचे उपकरण तैयार करके रखते हैं। जैसे ही मोबाइल फोन और टेबल के नीचे लगी डिवाइस में कनेक्शन बनता है, हैकर्स हमला शुरू कर देतेे हैं। कई बार तो यूजर्स को पता भी नहीं चलता कि उनका गैजेट हैक हो चुका है।

इलेक्ट्रोमैगनेटिक सिग्नल्स के जरिए बढ़ा रहे खतरे: इस सेंधमारी के लिए हैकर्स को मोबाइल फोन का मॉडल और पासकोड पता होना चाहिए। हमलावर अक्सर डार्क वेब पर पासवर्ड तलाशते हैं या कई बार यूजर्स की व्यक्तिगत रूप से जासूसी करते हैं। इसके बाद इलेक्ट्रोमैगनेटिक सिग्नल्स उत्सर्जित करने के लिए विशिष्ट उपकरण सेट करते हैं, जिससे स्मार्टफोन की नॉर्मल फंक्शनिंग बाधित हो जाती है। अब तक नौ स्मार्टफोन मॉडल में इस तरह से सेंधमारी की पुष्टि हुई है। साइबर एक्सपर्ट विशेषज्ञ आयुष भारद्वाज के अनुसार भारत में ऐसे मामले फिलहाल नहीं हैं लेकिन इसे नकारा नहीं जा सकता है।

स्क्रीन हैकिंग से इन खतरों की आशंका

फोन रखें अपडेटेड