
आखिर मर्ज़ी है हमारी....
उपेन्द्र शर्मा
अहमदाबाद. आज भारत के करीब 4 लाख लोगों की जान आफत में फंसी है। "वायु" नामक तूफान गुजरात के तटीय इलाकों पर भारी तबाही ला सकता है। हो सकता है कि जब आप सुबह इस लेख को पढें तब तक कोई अनहोनी ना घट चुकी हो। सरकार खूब प्रयास कर रही है। 3 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। फिर भी प्रकृति अंतत: प्रकृति है। अब भी मानव वश से वो दूर ही है। इसका असर गुजरात के समुद्र तट से बहुत दूर (400 किमी) तक अहमदाबाद में तो है ही लेकिन प्राकृतिक असर राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड होते हुए हिमालय तक जाएगा। पड़ोसी पाकिस्तान और ईरान तक भी।
भूगोल, मौसम, समुद्र, वायु से जुड़े वैज्ञानिक जब इसका कारण बताते हैं तो जानकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। आपको पता है कि समुद्र में इस तरह का तूफान किस वजह से आ रहा है। कारण है मानव आबादी का बेहिसाब बढऩा और पेड़ों का कटना। जयपुर में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट में 10 हजार आलिशान पेड़ बीच शहर में से काटे गए थे। अभी खुलासा हुआ है कि अहमदाबाद में बन रहे मेट्रो ट्रेक के लिए 1500 पेड़ काटे जा चुके हैं। और ना जाने कितने पेड़ों की पर्ची कटी पड़ी है। ऐसे न जाने कितने ही आधुनिक प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। न जाने कितने ही जंगल खेतों में और खेत कॉलोनियों में तब्दील हो चुके हैं। जहां कल तक हरियाली थी, वहां आज लोग और सिर्फ लोग रहते हैं और आप और हम बड़े गर्व से कहते हैं कि हमारा शहर अब तो वहां से भी वहां तक बस गया है।
खैर, वैज्ञानिकों से बातचीत में पता चलता है कि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई (खासकर उत्तर और पश्चिम भारत में) से वातावरण में गर्मी बढ़ा दी है। इस गर्मी से अरब सागर के ऊपर कम दबाव का चक्रवात बनता है जो सागर के शरीर में बैचेनी पैदा करता है और वो एक तरह से उलटी (वमन) करता है। सागर तटों पर यह चक्रवात खतरनाक आंधी तूफान का रूप ले लेता है।
हम सबको पता है कि इस बार गर्मी में पारा पिछले साल की तुलना में ज्यादा रहा। हर साल बढ़ रहा है। यह पारा अब यूँही बढ़ता रहेगा। अमेरिका, फ्रान्स, चीन कई मुल्क हैं जहां राजनीतिक पार्टियों को चुनाव के दौरान पर्यावरण संबधी मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण जनता को बताना पड़ता है। उन्हें वादे करने पड़ते हैं कि अगर वे सरकार में आए तो पर्यावरण सरंक्षण के लिए क्या करेंगे और क्या नहीं।
जापान में एयर कंडीशनर प्रयोग कम करने ले लिए टाई पहनने पर रोक ( शरीर का तापमान नियन्त्रित रखने के लिए), सिंगापुर में नहाने के लिए सिर्फ 4 लीटर पानी देने, इटली में प्रत्येक विद्यार्थी को डिग्री लेने से पहले एक पेड़ लगाने (बड़ा करना जरुरी) जैसे बड़े विचित्र किन्तु जरुरी हो चले नियम पिछले कुछ महीनों में ही बनाये गए हैं। हमारे यहां हाल ही चुनाव हुए थे, मुझे तो याद नहीं किसी एक नेता ने भी पर्यावरण के बारे में अपनी चिन्ता जाहिर की हो।
हाल जी गुजरात सरकार ने 10 करोड़ पेड़ राज्य में लगाने का फैसला किया है। कितनी कामयाबी मिलेगी ना मिलेगी अभी कहना मुश्किल है फिर भी पहल तो की ही है। राजस्थान में भी ऐसी कोई पहल हो तो बेहतर रहे। और पूरे देश में ही एक महा अभियान की जरुरत हैं वरना हम हेलमेट पहने न पहने आखिर मर्जी है हमारी क्यूँ कि आखिर सर भी तो है हमारा....
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