खय्याम की उम्र जब महज 10 साल की थी, तब वह अभिनेता बनने का सपना संजाये घर से भागकर अपने चाचा के घर दिल्ली आ गए।खय्याम के चाचा ने उनका दाखिला स्कूल में करा दिया, लेकिन गीत-संगीत और फिल्मों के प्रति उनकाआकर्षण को देखते हुए उन्होंने खय्याम को संगीत सीखने की अनुमति दे दी।खय्याम ने संगीत की अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंडित अमरनाथ और पंडित हुस्नलाल-भगतराम से हासिल की। इस बीच उनकी मुलातात पाकिस्तान के मशहूर संगीतकार जी.एस. चिश्ती से हुई। चिश्ती ने खय्याम को अपनी रचित एक धुन सुनाई और खय्याम से उस धुन के मुखड़े को गाने को कहा। खय्याम की लयबद्ध आवाज को सुन चिश्ती ने खय्याम को अपने सहायक के तौर पर अनुबंधित कर लिया ।