
CG Election 2024: प्रदेश में लोकसभा चुनाव संपन्न कराने के लिए जिन सरकारी कर्मचारियों को जिम्मेदारी दी गई है उनमें से 40 फीसदी कर्मचारियों को वोट डालना ही नहीं आता है। इसका खुलासा लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में हुए चुनाव में मतदान करने वाले सेवा और डाक मतपत्रों की जांच से हुआ है। हालांकि चुनाव कार्य में लगे कुल कर्मचारियों में से 30 फीसदी भी मतदान नहीं करते, लेकिन जिन्हें वोट डालना है उन्हें सही वोट डालना ही नहीं आता।
लोकसभा चुनाव 2014 में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए डाक मतपत्रों के माध्यम से वोट डालने की सुविधा दी गई थी। मतदान के पूर्व कर्मचारियों के लिए डाक मतपत्र के माध्यम से वोट डालने के लिए समय सीमा निर्धारित की जाती है। इस अवधि में डाक मतपत्र के माध्यम से कर्मचारी वोट डालते आ रहे हैं।
निर्धारित समय में जिला निर्वाचन क्षेत्र के मुख्यालय में बनाए गए डाक मतदान की व्यवस्था होती है और कर्मचारी व अधिकारी मौके पर पोस्टल बैलेट से वोटिंग करते हैं। वहीं 2019 लोकसभा चुनाव में सेवा मतदाताओं के लिए भी मतदान की व्यवस्था की गई, जिसमें संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता यदि सशस्त्र बल की किसी भी इकाई में कार्यरत है और क्षेत्र से बाहर हैं या सरकारी कार्य के सिलसिले में देश से बाहर है या प्रदेश में नहीं हैं। ऐसे कर्मचारियों को सेवा मतदाता की श्रेणी में रखा गया है। उनके लिए भी सेवा मतदान करने की सुविधा शुरू की गई है। प्रदेश में पिछले 2 लोकसभा आम चुनावों में कर्मचारियों ने डाक मतपत्र के माध्यम से वोटिंग तो की है, लेकिन इनमें से 40 फीसदी ऐसे कर्मचारी हैं जिन्हें वोट डालना नहीं आता और उनके मत निरस्त किए गए हैं।
दी जाती है ट्रेनिंग
कर्मचारियों और अधिकारियों को डाक मतपत्र के माध्यम से वोट डालने से पहले बकायदा निर्वाचन कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी ट्रेनिंग देते हैं। साथ ही सेवा मतदाताओं को मतदान के लिए मतदान के लिए नामांकन दाखिल करने और वोट डालने की भी ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन इसके बाद भी कर्मचारी वैध मतदान करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं।
Updated on:
16 Apr 2024 11:36 am
Published on:
16 Apr 2024 11:35 am
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