2050 तक ये शहर खुद को कर लेंगे "कार फ्री"
2030 तक हम एक ऐसे भविष्य की ओर बढऩे लगेंगे जहां वाहनों से लेकर घरों तक हमारी ऊर्जा आरैर ईंधन का सबसे बड़ा जरिया सोलर एनर्जी, जिओ थर्मल पॉवर, पवन ऊर्जा और बायोईंधन होगा। इससे न केवल जींवांश्म ईंधन बचेगा, जलवायु परिवर्तन को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।

एक और जहां नए दशक में ऑटोमोबाइल सेक्टर में इलेक्ट्रिक कारों (electric cars), स्वचालित वाहनों (autonomous vehicle), फ्लाइंग टैक्सी (flying or ariel taxi), हाइपरलूप टनल (hyperloop tunnel), मैग्नेटिक ट्रैन (maglev train) और स्पेस ट्रेवल (space travel) को यातायात एवं सफर का नया जरिया बनाया जा रहा है। वहीँ कुछ देश जयवायु परिवर्तन (climate change), पर्यावरण प्रदुषण (environment pollution), प्राकृतिक संसाधनों और ग्लोबल वार्मिंग (glowbal warming) को रोकने के लिए अपने शहरों से पेट्रोल डीज़ल वाले वाहनों को हटा रहे हैं। साथ ही नीदरलैंड्स, डेनमार्क, जर्मनी और यूरोप के अन्य बहुत से देशों में साइकिल को आम आदमी की सवारी बना रहे हैं। आइये जानते हैं की वे कौन से देश हैं जो अपने शहरों को "कार मुक्त" (car free cities) बना रहे हैं।

ये शहर बन रहे कार फ्री
पेरिस, मिलान, चेंगडु, मसदर, डब्लिन, ब्रसेल्स, कोपेनहेगन, बोगोटा और भारत का हैदराबाद भी इस मुहीम में पहला कर चुके हैं।
-साल 2050 तक 90 फीसदी आबादी शहरों में निवास कर रही होगी। वहीं दिल्ली, मुम्बई, ढाका, कंसास उस समय दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाली मेगा सिटी होंगी।
-मैक्सिको दुनिया का पहला देश है जिसने नंबर प्लेट्स के आधार पर दैनिक 'ड्राइव प्रतिबंध' लगाया है। इसके अलावा, लंदन, सिंगापुर और स्टॉकहोम भी सड़कों पर भीड़ का निर्धारण करते हैं। जहां ड्राइवरों को शहर के केंद्रों या भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर प्रवेश करने के लिए भुगतान करना पड़ता है।

-मैड्रिड ने कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए पुरानी डीजल और गैस कारों को शहर में प्रतिबंधित किया है। अगले साल तक इन वाहनों को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने की योजना बनाई है। वहीं शहर में हाइब्रिड कारों को 'इको लेबल' मिल सकता है।
-डेनमार्क 2030 तक देश में गैस और डीजल वाली नई कारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी में है।
-पेरिस में हर महीने के पहले रविवार को सुबह 10 से शाम 6 बजे तक कारों के प्रवेश पर प्रतिबंध है। 1997 से पहले बनीं कारों के सप्ताहंत प्रवेश पर रोक है। शहर में साइकिल सवारों के लिए ज्यादा लेन बनाई जा रही हैं।

-एथेंस भी 2025 तक डीजल कार पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है।
-ओस्लो 2030 तक शहर को कार्बन फ्री बनाने पर काम कर रहा है।
-हैम्बर्ग भी शहर के 40 फीसदी हिससे को ग्रीन नेटवर्क जोन के रूप में विकसित कर रहा है।
-ब्रसेल्स भी अपने यहां 2030 तक डीजल वाले वाहनों को बैन करने पर काम कर रहा है।
-नीदरलैंड्स 2030 तक उन्हीं वाहनों को सड़कों पर प्रवेश करने देगा जो कार्बन-फ्री हैं। यहां साइकिल बाजार 31 अरब तक पहुंच चुका है।
-फिनलैंड में भी अगले 10 सालों में लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यात्रा करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, क्योंकि वहां कारों को सड़कों से हटाने पर सरकार पूरा जोर लगा रही है।

बायसाइकिल शेयर प्रोग्राम
साइकिल शेयर कार्यक्रम यात्रियों को कम दूरी तय करने और एक सीमित क्षेत्र में घूमने के लिए साइकिल की सवारी उपलब्ध करवाएगा। इससे शहरी क्षेत्रों में यातायात को सुगम और तेज बनाया जा सकता है। कार चलाने की तुलना में बाइक चलाना ज्यादा अच्छा विकल्प है क्योंकि इससे कार्बन उत्सर्जन नहीं होता न ही यह पार्किंग की जगह घेरती है और आसानी से उपलब्ध भी हैं। साइकिल परिवहन का एक इको-फे्रंडली तरीका है और साथ ही सवारों को स्वस्थ व्यायाम करने का अवसर प्रदान करता है।
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