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संविधान लिखने वाले प्रेम बिहारी ने रखी थी ये अजीब शर्त

-हिंदी और अंग्रेजी में संविधान की मूल प्रति कैलिग्राफ की थी (Constitution of India calligraphy by Prem Behari Narain Raizada )26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने के साथ ही अशोक चक्र (ashok chakra) बतौर राष्ट्रीय चिह्न स्वीकार किया गया

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Jan 28, 2020
प्रेम बिहारी ने संविधान की मूल प्रति कैलिग्राफ की थी

जयपुर.

संविधान का मसौदा हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों में ही हस्तलिखित और कैलिग्राफ किया गया था। उस वक्त किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंट का प्रयोग नहीं किया गया। अंग्रेजी और हिंदी में संविधान की मूल प्रति कैलिग्राफ करने वाले प्रेम बिहारी नारायण रायजादा से मेहनताना पूछा गया था तो उन्होंने कुछ भी लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने सिर्फ एक शर्त रखी कि संविधान के हर पृष्ठ पर वह अपना नाम लिखेंगे और अंतिम पेज पर अपने नाम के साथ अपने दादा का भी नाम लिखेंगे। उन्हें इस काम में 6 महीने लगे थे।

इन देशों के संविधान से ली मदद
अमरीका : मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग।
ब्रिटेन: संसदात्मक शासन-प्रणाली, एकल नागरिकता एवं विधि निर्माण प्रक्रिया।
आयरलैंड: नीति निर्देशक सिद्धांत, राष्ट्रपति के निर्वाचक-मंडल की व्यवस्था, राज्यसभा मेें विशेष सदस्यों का मनोनयन
ऑस्ट्रेलिया: प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची का प्रावधान, केंद्र एवं राज्य के बीच संबंध तथा शक्तियों का विभाजन।
जर्मनी: आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति की शक्तियां।
फ्रांस : संविधान की प्रस्तावना में स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व जैसे वाक्य फ्रांस के संविधान से लिए गए। फ्रांस की क्रांति में ये ही आदर्श वाक्य थे।
रूस : मौलिक कर्तव्यों का प्रावधान। इसके अलावा कनाडा, द. अफ्रीका व जापान के संविधान से भी कुछ अंश लिया गया।

Updated on:
28 Jan 2020 05:31 pm
Published on:
28 Jan 2020 04:44 pm
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