यही नहीं, रूस ने एस-400 मिसाइल सिस्टम डील पर भारत की अमरीका को खरी-खरी सुनाने पर जमकर तारीफ भी की है। अमरीका के तमाम विरोध के बाद भी भारत ने मॉस्को के साथ इस मिसाइल डील को अंजाम तक पहुंचाया है। यहां तक कि अमरीका ने इस डील को रुकवाने के लिए तमाम प्रयास किए थे और प्रतिबंधों तक की धमकी दे दी थी।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Russian Foreign Minister) ने इस मौके पर सोमवार को कहा कि हमारे भारतीय मित्रों ने स्पष्ट और दृढ़ता से समझाया कि वे एक संप्रभु देश हैं और वे तय करेंगे कि किसके हथियार खरीदने हैं और कौन इस और अन्य क्षेत्रों में भारत का भागीदार बनने जा रहा है।
पुतिन और पीएम नरेंद्र मोदी (Talk between Russian President Putin and PM Narendra Modi) के बीच द्विपक्षीय बैठक में सीमा पार आतंकवाद पर भी चर्चा हुई। बैठक में अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को नहीं होने देने को लेकर भी बात हुई।
मोदी-पुतिन के बीच हुई बातचीत के जारी बयान में बताया गया कि बैठक में अफगानिस्तान के मुद्दे पर भी चर्चा हुई और वहां शांति को लेकर रणनीति पर बात की गई।
दोनों देशों ने कनेक्टिविटी से लेकर सैन्य सहयोग, ऊर्जा साझेदारी से लेकर अंतरिक्ष क्षेत्र में भागीदारी के अनेक मुद्दे शामिल हैं। साथ ही संयुक्त बयान जारी कर अपनी दोस्ती को शांति, प्रगति और समृद्धि की साझेदारी करार दिया।
उन्होंने भारत और रूस के बीच हुई शिखर वार्ता और समझौतों को दोनों देशों के रिश्तों का दायरा बढ़ाने वाला और नए मुकाम तक पहुंचाने वाला करार दिया। श्रृंगला के मुताबिक एक तरफ जहां अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर की योजना आगे बढ़ाने पर रजामंदी हुई। वहीं दोनों पक्ष जल्दी ही भारत के चेन्नई को रूस के व्लादिवोस्तक तक जोड़ने वाले समुद्री गलियारे पर भी तेजी से काम करने को सहमत हैं।
भारत और रूस ने अपने सैन्य और तकनीकी सहयोग समझौते को अगले 10 साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। इसके तहत साझा सैन्य उत्पादन और अनुसंधान-विकास पर सहमति बनी है। वहीं अपेक्षा के विपरीत भारत और रूस के बीच रिवर्स लॉजिस्टिक सपोर्ट समझौते पर मुहर नहीं लग पाए। इस समझौते के तहत भारत को आर्कटिक क्षेत्र में रूसी ठिकानों से रसद भरने की सुविधा हासिल हो सकेगी।
भारत और रूस के शीर्ष नेताओं ने आंतकवाद और अफगानिस्तान के मुद्दे को लेकर भी चर्चा की। विदेश सचिव के मुताबिक दोनों पक्ष इस बात को लेकर एकराय थे कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट और सख्त उपाय किए जाने चाहिए। इतना ही नहीं दोनों देशों ने इस बारे में भी सहमति जताई कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए करने की इजाजत कतई नहीं दी जा सकती। संयुक्त बयान में दोनों मुल्कों ने अलकायदा, आईएसआईएस और लश्कर-ए-तोयबा जैसे संगठनों के खिलाफ एकजुट कार्रवाई करने का भी संकल्प जताया। शिखर वार्ता के साथ हुए समझौतों की कड़ी में भारत के रिजर्व बैंक और रूस के बैंक ऑफ रशिया ने सायबर हमलों के खिलाफ मिलकर लड़ने का करार किया। इसके अलावा इस्पात के क्षेत्र में भी साझेदारी बढ़ाने के लिए सहयोग समझौते पर दस्तखत किए।