
अब्दुल बारी/जयपुर. राजस्थान मदरसा बोर्ड के अधीन मदरसों में अब गैर मुस्लिम इस्लामी शिक्षा नहीं ले सकेंगे। मदरसों में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम बच्चों के अभिभावकों से लिखित में सहमति ली जाएगी कि वह स्वेच्छा से अपने बच्चों को मदरसों में पढ़ा रहे हैं। साथ ही प्रत्येक मदरसे को लिखित में देना होगा कि वह गैर मुस्लिम बच्चों को धार्मिक शिक्षा नहीं दे रहे। राजधानी में अब तक मदरसों में 192 गैर मुस्लिम विद्यार्थी चिन्हित हो चुके हैं।
'जो इच्छा से शिक्षा लेना चाहे उसे रोकना गलत'
मदरसों की संस्था मदरसा अल फलाह तंजीम के अध्यक्ष रफीक गारनेट का कहना है कि मदरसों में हिंदू-मुस्लिम करना गलत है। मदरसों में गैर मुस्लिम बच्चों को केवल सरकारी सिलेबस ही पढ़ाया जाता है। लेकिन यदि कोई बच्चा अभिभावकों की सहमति से इस्लामी शिक्षा लेना चाहे तो उसपर सख्ती गलत है। संस्कृत और मिशनरी स्कूलों में भी हर धर्म के बच्चे पढ़ रहे हैं। तो अब मदरसों में नया विवाद क्यों।
ब्राह्मण परिवार के घर चल रहा मदरसा, आधे से अधिक हिंदू
चाकसू में ब्राह्मण परिवार के घर में 25 सालों से मदरसा गुलजार उल इस्लाम चल रहा है। वर्तमान अध्यक्ष रामकिशोर सैनी ने बताया कि हमेशा से यहां का प्रबंधन हिंदुओं के पास ही रहा है। मदरसे में 42 विद्यार्थी हिंदू हैं। जिन्हें इस्लामी शिक्षा नहीं दी जाती। सैनी ने कहा कि आज हिंदू-मुस्लिम की गिनती करते हुए दुख हुआ। यहीं मदरसा मोना गुलशने तैबा के सचिव श्रवणलाल ने बताया कि उनके मदरसे में आधे से अधिक बच्चे हिंदू हैं।
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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के निर्देश पर यह जानकारी जुटाई जा रही है। मदरसा बोर्ड का इस्लामी शिक्षा से लेना-देना नहीं है। हमारे शिक्षा अनुदेशक केवल सरकारी पढ़ाई करवाते हैं। मुस्लिम बच्चों को धार्मिक शिक्षा देने पर भी कोई रोक नहीं है।
सैयद मुकर्रम शाह
सचिव, राजस्थान मदरसा बोर्ड
Published on:
31 May 2024 12:45 pm
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