
महेंद्र सैनी
Sikar News : श्रीमाधोपुर. रेलवे स्टेशन पर भाप के इंजन वाली पहली रेल 117 साल पहले 1907 में आज ही के दिन छुक छुक करती आई थी। मीटर गेज से ब्रॉडगेज व भाप से कोयले, डीजल व बिजली के इंजन तक का सफर आंखों से देखने वाले श्रीमाधोपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के संचालन ने 117 वर्ष का सफर पूरा किया। वरिष्ठ नागरिक राजेन्द्र कुमार नायन का जोशी ने बताया कि आजादी से पहले 13 जुलाई 1907 को रेलगाड़ी स्टीम इंजन के साथ सर्वप्रथम श्रीमाधोपुर रेलवे स्टेशन पर आकर रुकी। स्टीम इंजन से शुरू हुई रेलगाड़ी का सफर डीजल इंजन और 27 जुलाई 2020 से इलेक्ट्रिक इंजन तक पहुंच गया है। 1907 में बनी फुलेरा-रेवाड़ी रेल लाइन से कस्बा जुड़ा तथा समय के साथ-साथ नगर विकास की गति भी बढ़ती गई।
आज श्रीमाधोपुर ब्रॉडगेज लाइन से दिल्ली, चंडीगढ़, बांद्रा, जोधपुर जैसलमेर, उदयपुर, भिवानी, जयपुर, अहमदाबाद आदि बड़े शहरों से भी जुड़ चुका है। मानपुरिया परिवार ने स्टेशन के लिए जमीन रेलवे को दी थी। श्रीमाधोपुर रेलवे स्टेशन से रींगस की ओर पहले फाटक को आज भी मानपुरिया फाटक के नाम से जाना जाता है। आज भले ही वहां फाटक नहीं है और उसका स्थान अंडरपास व ओवर ब्रिज ने ले लिया हो। शुरू के दिनों में रेल में आधी मालगाड़ी और आधी सवारी गाड़ी हुआ करती थी, किराया भी आने में हुआ करता था। अब तो श्रीमाधोपुर रेलवे स्टेशन का नया भवन बन चुका है व प्लेटफार्म भव्य रूप ले चुका है।
स्टेशन पर कोच इंडिकेटर नहीं
प्लेटफार्म पर कोच इंडिकेटर नहीं होने की वजह से यहां से ट्रेन में चढऩे वाले यात्री हर दिन कोच ढूंढने के लिए इधर-उधर धक्के खाते रहते हैं। कोच इंडिकेटर बोर्ड के नहीं होने से सीनियर सिटीजन और छोटे बच्चों के साथ सफर करने वाली महिलाओं को काफी दिक्कत होती है। ट्रेन पकडऩे के लिए दौड़ लगानी पड़ती है, क्योंकि ट्रेन केवल दो मिनट ही ठहरती है। सैकड़ों साल पुराना रेलवे स्टेशन आज भी कई ट्रेनों के ठहराव के लिए तरस रहा है। व्यापारी बजरंग लाल अमरसरिया, पवन शर्मा, नारायणलाल कुड़ी ने बताया कि श्रीमाधोपुर रेलवे स्टेशन पर एकल टिकट खिड़की होने से रेल समय में रिजर्वेशन कराने वालों को परेशानी होती है। रिजर्वेशन काउंटर अलग से शुरू होना चाहिए। वहीं सीताराम बुगालिया का कहना है कि रेलवे स्टेशन पर सुविधाएं तो कर रखी हैं पर प्लेटफार्म पर यात्रियों के लिए बने शेड में बारिश का पानी टपकने से यात्री परेशान होते हैं।
नई रेल संचालन व स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव होने की उम्मीद
भविष्य में श्रीमाधोपुर रेलवे स्टेशन से देश के हर कोने के लिए रेल संचालन की संभावना है। इसकी वजह रेवाड़ी फुलेरा ब्रॉडगेज लाइन पर स्थित श्रीमाधोपुर स्टेशन का राजधानी दिल्ली व जयपुर से नजदीक होना है। दोनों ही जगह लंबी दूरियों की रेलों का आवागमन है। युवा शक्ति व सामाजिक संगठनों, व्यापारियों व सैनिकों की मांग को देखते हुए नई रेल संचालन व स्टेशन से गुजरने वाली सभी ट्रेनों का ठहराव जल्द होने से राहत मिलने की संभावना है।
इतिहास के झरोखे से
13 जुलाई 1907 को भाप की पहली रेल श्रीमाधोपुर रेलवे स्टेशन पहुंची।
2009 में श्रीमाधोपुर रेलवे स्टेशन ब्रॉडगेज से बड़े शहरों से जुड़ा।
15 अगस्त 2018 को पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर न्यू श्रीमाधोपुर स्टेशन का उद्घाटन हुआ। एशिया का पहला रेलवे कॉरिडोर दिल्ली-मुंबई फ्रंट कॉरिडोर श्रीमाधोपुर से होकर गुजर रहा। इस लाइन पर न्यू श्रीमाधोपुर रेलवे स्टेशन भी बनाया गया है।
27 जुलाई 2020 से इलेक्ट्रिक इंजन ट्रेन का सफर भी शुरू हो चुका है।
18 ट्रेन अब रोजाना ठहर रही श्रीमाधोपुर स्टेशन पर
कोरोना के चार साल पूरे, सीनियर सिटीजंस को नहीं लौटाई रियायत
बुजुर्ग केदारमद भूरामल ने कहा कि सरकार ने कोरोना काल को आपात स्थिति बताते हुए ट्रेनों में न्यूनतम किराया दस रुपए से बढ़ाकर तीस रुपए कर दिया था, जो करीब चार साल बाद भी वापस कम नहीं किया है। न ही रेल किराए में बुजुर्गों को दी जाने वाली छूट वापस बहाल की, समाज के अन्तिम छोर पर खड़े व्यक्ति का ध्यान रखने के दावा यहां खोखला साबित हो रहा है। बड़े-बड़े स्टेशनों के पुनर्निर्माण के लिए तो सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, लेकिन बुजुर्गों को छूट देने की बात पर सरकार चुप है। विदित रहे कि रेलवे 58 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं और 60 वर्ष से अधिक के पुरुष यात्रियों को किराए में राहत देते रहा है, जो करीब चार साल से बंद है।
खाटूश्यामजी में बढ़ती आस्था के बीच स्थानीय यात्री परेशान
विश्व प्रसिद्ध खाटूश्यामजी मंदिर में बढ़ती हुई श्रद्धा और भीड़ के कारण दिल्ली, रेवाड़ी और रींगस के मध्य आने वाले रेलवे स्टेशन के नियमित यात्रियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है। एक तो इस मार्ग पर चलने वाली ट्रेन अपर्याप्त हैं दूसरा बढ़ती भीड़ और भी ज्यादा समस्या को बढ़ाती है। ट्रेन के प्रारंभ स्थल दिल्ली से ही गाड़ी में भीड़ हो जाती है जिससे इन स्टेशनों पर यात्री न उतर सकते हैं व न ही गाड़ी में चढ़ पाते हैं। यात्रियों ने शुक्रवार, शनिवार, रविवार, एकादशी व द्वादशी आदि विशिष्ट दिनों को यदि स्पेशल ट्रेन दिल्ली और रींगस के बीच चलाई जाए तो इससे समस्या से मुक्ति मिल सकती है।
Updated on:
13 Jul 2024 09:22 pm
Published on:
13 Jul 2024 07:56 pm
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