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सर्पों की देवी मनसा के भक्तों के अद्भुत नजारे होते हैं यहाँ

(Jharkhand News ) इस वर्ष कोरोना संक्रमण (Corona effect of godess Mansa) के कारण नागों की देवी (Godesss of Snakes ) और भगवान शिव की मानस पुत्री देवी मनसा (Manas daughter Devi Mansa) के धार्मिक कार्यक्रमों पर असर पड़ा है। शिव भक्त हैं पूजा के दौरान जहरीले सांपो की माला पहनते हैं वो, नुकीले शूलों को अपनी जीभ और चेहरे के साथ शरीर के अंगों पर बिधवाते हैं, फिर भी न तो उन्हें दर्द होता है और न डर लगता है।

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सर्पों की देवी मनसा के भक्तों के अद्भुत नजारे होते हैं यहाँ

सर्पों की देवी मनसा के भक्तों के अद्भुत नजारे होते हैं यहाँ

जमशेदपुर(झारखंड): (Jharkhand News ) इस वर्ष कोरोना संक्रमण (Corona effect of godess Mansa) के कारण जहां विभिन्न देवी-देवताओं के आयोजन प्रभावित हुए हैं, उसी तरह नागों की देवी (Godesss of Snakes ) और भगवान शिव की मानस पुत्री देवी मनसा (Manas daughter Devi Mansa) के धार्मिक कार्यक्रमों पर असर पड़ा है। मनसा पूजा झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आसपास के क्षेत्र के प्रमुख त्योहारों में एक है। कोरोना संक्रमण के कारण मनसा पूजा की रौनक फीकी है। ना तो मनसा मंगल के गाने बज रहे हैं और ना ही जांत की धुन सुनाई दे रही है। इस अवसर पर मंदिरों में मां मनसा की आकर्षक व भव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है। चारों ओर मनसा मंगल और जांत के गीतों से आकाश गुंजायमान रहता है।

मनसा भक्तों के अद्भुत नजारे
शिव भक्त हैं और सावन के अंतिम दिनों में सर्प देवी मां मनसा की पूजा के दौरान ये अद्दभुत नजारा पेश करते हैं। जहरीले सांपो की माला पहनते हैं वो, नुकीले शूलों को अपनी जीभ और चेहरे के साथ शरीर के अंगों पर बिधवाते हैं, फिर भी न तो उन्हें दर्द होता है और न डर लगता है।

सर्पों की देवी है मनसा
मान्यता है कि शिव पुत्री माँ मनसा सर्प की देवी है। माँ मनसा की पूजा से बिच्छू व सर्पदंश से सुरक्षित रहने के साथ सर्पदोष से भी मुक्ति पाई जा सकती है। इन्हें शिव पुत्री, विष की देवी, कश्यप पुत्री और नागमाता के रूप में भी माना जाता है। देवी मनसा की पूजा आमतौर पर बरसात के दौरान की जाती है, क्योंकि सांप उस दौरान अधिक सक्रिय रहते हैं। बंगला व ओडि़शा पंचांग के अनुसार श्रावण संक्रांति, भादो संक्रांति और आश्विन संक्रांति के दिन मां मनसा की पूजा की जाती है।

भगवान शिव की मानस पुत्री
मान्यता के अनुसार मां मनसा देवी भगवान शिव की मानस पुत्री हैं। वहीं पुराने ग्रंथो में यह भी कहा गया है कि इनका जन्म कश्यप के मस्तिष्क से हुआ है। कुछ ग्रंथो के अनुसार नागराज वासुकी की बहन पाने की इच्छा को पूर्ण करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें मनसा देवी को भेंट किया था। वासुकी इनके तेज को संभाल न सके और इनके पोषण की जिम्मेदारी नागलोक के तपस्वी हलाहल को दे दी।

दयालु व करुणामयी मनसा देवी
इनकी रक्षा करते-करते हलाहल ने अपने प्राण त्याग दिए थे। मनसा देवी भक्तिभाव से पूजा करने वाले भक्तों के लिए बेहद दयालु और करुणामयी हैं। मनसा देवी का पंथ मुख्यत: भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में केंद्रित है। माता मनसा देवी, नाम के अनुरूप ही भक्तों की समस्त मंशाओं को पूरी करने वाली देवी हैं। नाग उनके रक्षण में सदैव विद्यमान हैं। कई बार देवी के प्रतिमाओं में पुत्र आस्तिक को उनकी गोद में लिए दिखाया जाता है।

गले में सर्पों की माला
भोले शंकर के भक्त जिन्हें पंच परगनिया क्षेत्रों में भोक्ता कहा जाता है. श्रद्धा, भक्ति और मान्यताओं के अनुसार सर्प देवी की पूजा के लिए भोक्ता पूरे 9 दिन का उपवास करते हैं फिर पूर्णाहूति के दिन सुबह से गले में जहरीले सांपो की माला पहनते हुए उनसे ठिठोली करते भोक्ता शिव मंदिर बु्ढा महादेव की तरफ आगे बढ़ते है। शिव भक्त और भोक्ताओं की इस टोली में हर प्रजाति के सांप होते हैं।

200 से 5 हजार रुपये तक सांप की कीमत
दिलचस्प पहलू यह भी है कि इस त्योहार के लिए शिव भक्त जंगलों में साल भर जहरीले सांपो को पकडऩे का कार्य करते हैं। रंग बिरंगे सांपों को कोई ज्यादा इकट्ठा कर लेता है तो उसका व्यवसाय भी जरूरत के मुताबिक कर लेता है। एक सांप की कीमत दो सौ से लेकर पांच हजार रुपए तक होती है। लेकिन यह सब कुछ गुपचुप तरीके से अब होने लगा है।

गुपचुप होती है सांपों की खरीद-फरोख्त
मान्यताओं के अनुसार सांपों की खरीद-फरोख्त को उचित नहीं माना जाता है। पता चलने पर ऐसे लोगों पर समाज के लोग अर्थ दंड लगाकर उसे एक साल के लिए पूजा में शामिल होने से रोकते भी हैं। बावजूद इसके गुपचुप तरीके से ही सही इस मौके के लिए सांपो की खरीद बिक्री का सिलसिला अब चल पड़ा है।