scriptअधिकारी हैं न कर्मचारी, कुपोषण से जंग लडऩे की तैयारी | There are no officers or employees, preparations are on to fight against malnutrition | Patrika News
खास खबर

अधिकारी हैं न कर्मचारी, कुपोषण से जंग लडऩे की तैयारी

जिले में सबसे अधिक कुपोषण के मामले आदिवासी सहरिया जनजाति बाहुल्य किशनगंज और शाहाबाद ब्लॉक क्षेत्र से सामने आते है।

बारांMay 16, 2025 / 11:41 am

mukesh gour

जिले में सबसे अधिक कुपोषण के मामले आदिवासी सहरिया जनजाति बाहुल्य किशनगंज और शाहाबाद ब्लॉक क्षेत्र से सामने आते है।

जिले में सबसे अधिक कुपोषण के मामले आदिवासी सहरिया जनजाति बाहुल्य किशनगंज और शाहाबाद ब्लॉक क्षेत्र से सामने आते है।

जमीनी स्तर पर निगरानी व्यवस्था को नहीं कर रहे प्रभावी

बारां. सरकार की ओर से कुपोषण नियंत्रण को लेकर विभिन्न स्तर पर प्रयास किए जा रहे है, लेकिन जमीनी स्तर पर निगरानी व्यवस्था को प्रभावी नहीं किया जा रहा है। आंगनबाड़ी और मां बाड़ी केन्द्र संचालित किए जा रहे है। इन पर मानदेय सेवा पर कर्मचारी भी लगाए हुए है, लेकिन केन्द्रों पर की जाने वाली गतिविधियों की निगरानी को लेकर उदासीनता बरती जा रही है। वैसे निगरानी के लिए ब्लॉक व सेक्टर बनाए हुए है, लेकिन दोनों स्तर पर जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों का टोटा है। जिले में सबसे अधिक कुपोषण के मामले आदिवासी सहरिया जनजाति बाहुल्य किशनगंज और शाहाबाद ब्लॉक क्षेत्र से सामने आते है। आर्थिक रूप से क्षेत्र की स्थिति भले ही ठीक हो, लेकिन सहरिया जनजाति के लोग जागरूकता की कमी से पीछे है। क्षेत्र के चहूंमुखी विकास के लिए केन्द्र सरकार के नीति आयोग ने भी इन दोनों ब्लॉक को आकांक्षी ब्लॉक के रूप में चिन्हित किया हुआ है। इसके बाद भी यहां अपेक्षित कर्मचारियों के पद भरने को लेकर उपेक्षित रवैया अपनाया जा रहा है।
नीति आयोग की ओर से चिन्हित आकांक्षी ब्लॉक शाहाबाद में तो स्थिति ऐसी है कि एक एलएस (महिला पर्यवेक्षक) पर 254 आंगनबाड़ी केन्द्रों की निगरानी का भार है। ब्लॉक में 254 आंगनबाड़ी केन्द्र है। इनकी निगरानी की आदर्श स्थिति के मुताबिक 25 से 35 केन्द्रों पर एक एलएस का पद होना चाहिए। इसके बाद भी गिनती के आधा दर्जन पद स्वीकृत किए है। इनमें भी 5 पद कई दिनों से खाली पड़े हुए है। इसी तरह आकांक्षी ब्लॉक किशनगंज में 298 आंगनबाड़ी केन्द्र है, लेकिन यहां भी एलएस के 10 पद ही स्वीकृत किए हुए है। इनमें से वर्तमान में मात्र 4 पद ही भरे हुए है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से जिले के सभी 8 ब्लॉक में 8 बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) के पद स्वीकृत कर कार्यालय खोले हुए है, लेकिन वर्तमान में आरां व अन्ता दो ब्लॉक में ही सीडीपीओ के 2 पद ही भरे हुए है। दोनों सीडीपीओ को 4-4 परियोजनाओं का भार सौंपा हुआ है। सीडीपीओ अन्ता को अन्ता के अलावा मांगरोल, किशनगंज व शाहाबाद तथा सीडीपीओ बारां को बारां के अलावा छबड़ा, छीपाबड़ौद और अटरू का अतिरिक्त चार्ज सौंपा हुआ है। अन्ता से शाहाबाद के देवरी, कस्बाथाना करीब 100 किमी दूर है। इसी तरह बारां से छीपाबड़ौद के हरनावदाशाहाजी भी 80 किमी दूर है। इसी से केन्द्रों की गुणवत्तापूर्ण निगरानी व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है।
यह जिले में पदों की स्थिति

बाल विकास परियोजना 08
सीडीपीओ के पद स्वीकृत 08
सीडीपीओ कार्यरत 02
आंगनबाड़ी केन्द 1689
एलएस के स्वीकृत पद 52
एलएस कार्यरत 25
सेक्टर स्वीकृत 32
एक सेक्टर में आंगनबाड़ी केन्द्र 52
स्वच्छ परियोजना 01
मां बाड़ी केन्द्र संचालित 266
किशनगंज में मां बाड़ी 135
शाहाबाद में मां-बाड़ी 131
मां बाड़ी पर कोर्डिनेटर 10
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक
जिले में 329 मां बाड़ी केन्द्र है। यहां 6 से 14 वर्ष के बच्चों को प्राथमिक शिक्षा ओर मिड-डे मिल दिया जाता है। वैसे 5 वर्ष से अधिक के बच्चे होने से इनमें कुपोषण के मामले कम ही आते है।
इंद्रजीत सोलंकी, परियोजना अधिकारी, स्वच्छ परियोजना

जिले में सीडीपीओ के 6 पद खाली है। इसी तरह शाहाबाद में एक एलएस है। एलएस के काफी पद खाली है। पद खाली होने से व्यवस्थाएं तो प्रभावित होती ही है, लेकिन फिर भी निगरानी पर जोर दिया जा रहा है। कुपोषण की भी कई अन्य जिलों से बारां की बेहतर स्थिति है।
दुर्गाशंकर, सहायक निदेशक, महिला एवं बाल विकास

Hindi News / Special / अधिकारी हैं न कर्मचारी, कुपोषण से जंग लडऩे की तैयारी

ट्रेंडिंग वीडियो