22 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

खास खबर

राजस्थान में ऐसा पहली बार : जंगल में धोक के 500 पेड़ किए जाएंगे ट्रांसप्लांट, दे​खिए, कैसे किए जा रहे पेड़ ट्रांसप्लांट

कोटा.ट्रांसप्लाट शब्द का जिक्र होता है तो लगता है जैसे मे डिकल साइंस में कोई किडनी, लीवर इत्यादि के ट्रांसप्लांट की बात हो रही हो, लेकिन यहां तो पेड़ों के ट्रांसप्लांट की बात हो रही है। मंडाना क्षेत्र के जंगल में 500 धोक के पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जाएगा। वन विभाग पहली बार धोक के पेड़ों एक स्थान से उखाड़ कर दूसरे स्थान पर ट्रांसप्लांट करेगा। विभाग ने प्रारंभिक तौर पर सफल प्रयोग कर लिया है।

Google source verification

कोटा

image

Hemant Sharma

Oct 08, 2022

कोटा.ट्रांसप्लाट शब्द का जिक्र होता है तो लगता है जैसे मे डिकल साइंस में कोई किडनी, लीवर इत्यादि के ट्रांसप्लांट की बात हो रही हो, लेकिन यहां तो पेड़ों के ट्रांसप्लांट की बात हो रही है। मंडाना क्षेत्र के जंगल में 500 धोक के पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जाएगा। वन विभाग पहली बार धोक के पेड़ों एक स्थान से उखाड़ कर दूसरे स्थान पर ट्रांसप्लांट करेगा। विभाग ने प्रारंभिक तौर पर सफल प्रयोग कर लिया है।

पेड़ों को ट्रांसप्लांट करना शुरू कर दिया है।विभाग के अनुसार प्रदेश में पहली धोंक के पेड़ों को ट्रांसप्लाट किया जा रहा है। इन्हें आवश्यकता के अनुसार जमीन से निकालकर 50 से 100 मीटर की दूरी पर रोपा जा रहा है। धोक को एक स्थान से उखाड़कर दूसरे स्थान पर लगाना चुनौती है। इन्हें ट्रांसप्लांट करने का स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेजर नहीं है, इसके बावजूद विभाग ने ट्रांसप्लांट का निर्णय लिया और सफलता हांसिल की। ये पेड़ 15 से 20 फीट ऊंचाई के हैं।

पहले किया प्रयोग

विभाग के अधिकारियों के अनुसार ये धोक काफी धीमी गति से बढ़ने वाला पौधा है। यहां तक कि इसे नर्सरी में भी लगाना काफी मुश्किल होता है। चुनौती के बावजूद विभाग ने प्रारंभिक तौर पर पांच पौधों को ट्रांसप्लांट किया। इन पर निगरानी रखी गई। गर्मी में लगाने के बावजूद इन पौधों में से 2 पौधे जीवित रहे। इससे उत्साहित होकर गत दिनों से विभाग ने ट्रांसप्लांट करना शुरू कर दिया।

इसलिए जरूरी

ये पेड़ भारतमाला प्रोजेक्ट में आ रहे थे। भारतमाला परियोजना, भारत में हाईवे (राजमार्ग) के निर्माण की दूसरी सबसे बड़ी परियोजना है। इसकी राह में पेड़ो को हटाना आवश्यक था। इन पेड़ों को बचाने के लिए मुख्य वन संरक्षक के साथ मिटिंग कर इन पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने का निर्णय लिया। धोक क्षेत्र के जंगलों की प्रमुख वनस्पतियों से एक है। औषधीय पौधों के रूप में भी इनका काफी महत्व है। इन पेड़ों से निकलने वाला गौंद कापी उपयोगी बताया गया है

ऐसे कर रहे ट्रांसप्लांट

ट्रांसप्लांट करने के लिए विभाग ने एक स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेजर बनाया है। इसके तहत पेड़ के चारों तरफ ट्रेंच खोदकर इसमें पानी भर देते हैं और पेड़ को अच्छे से बांधकर जडों सहित जमीन से निकाल कर दूसरे स्थान पर लगा रहे हैं। करीब एक घन मीटर का गड्ढा खोदकर पेड़ को लगाया जा रहा है। जमीन से बाहर पेड़ के तने के आसपास भी एक मीटर ऊंचा, एक मीटर लंबा व इतनी चौड़ाई पर मिट्टी लगाकर ढक रहे हैं।

….जैसा कि इन्होंने बताया

मंडल वन के उपवन संरक्षक सुबोध सिंह राजपूत ने बताया कि भारत सरकार की शर्ताें की पालना में पहली बार धोक के पेड़ को ट्रांसप्लांट कर रहे हैं। धोक के ट्रांसप्लाट को लेकर किए गए प्रयोग के परिणाम को देखते हुए उम्मीद है कि हमें अपने कार्य में सफलता मिलेगी व ट्रांसप्लांटेड पेड़ पनपेंगे।