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सरिस्का में इलेक्ट्रिक बसें चलाने में क्यों हो रही देरी? 30 बसों का होना है संचालन 

अलवर सरिस्का टाइगर रिजर्व में करीब तीन माह पहले इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल पास हो चुका, केवल एक बस निगम की ओर से सरिस्का में चलाई गई है, जो मंगलवार व शनिवार को श्रद्धालुओं को पांडुपोल तक पहुंचाती है, जो कि श्रद्धालुओं की संख्या के अनुपात में कम है।

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सरिस्का में चलाई जाने वाली इलेक्ट्रिक बस

अलवर सरिस्का टाइगर रिजर्व में करीब तीन माह पहले इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल पास हो चुका, लेकिन अब तक परिवहन निगम जयपुर की ओर से बसों के संचालन के टेंडर नहीं किए गए। केवल एक बस निगम की ओर से सरिस्का में चलाई गई है, जो मंगलवार व शनिवार को श्रद्धालुओं को पांडुपोल तक पहुंचाती है, जो कि श्रद्धालुओं की संख्या के अनुपात में कम है।

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च तक संचालन के लिए कहा था

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश दिए थे कि सरिस्का स्थित पांडुपोल मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं के लिए इलेक्ट्रिक बसों की व्यवस्था की जाए ताकि वन्यजीव प्रभावित न हों। डीजल-पेट्रोल के वाहनों की आवक से बाघों की प्रजनन क्षमता तक प्रभावित हो रही है।

इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मार्च तक संचालन के लिए कहा था। हालांकि सरकार के शपथ पत्र में कुछ समय इस कार्य के लिए बढ़ाया गया था, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई बड़ा काम नहीं हुआ है। सरिस्का के एक अधिकारी का कहना है कि अब बसों के लिए टेंडर का कार्य परिवहन निगम की ओर से होना है।

दो गेट से होगा बसों का संचालन

सरिस्का में 30 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन होना है। बस डिपो भर्तृहरि धाम के पास बनेगा। सरिस्का मुयद्वार व टहला गेट से बसें चलेंगी, जो पांडुपोल तक 40 मिनट में पहुंचेंगी। इसका किराया भी परिवहन निगम की ओर से तय किया जाना है।

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