हिमा नामीबिया की क्रिस्टीन एमबोमा और ऑस्ट्रेलिया की एला कोनोली से पिछड़ गई। एला कॉनली ने 23.41 सेकेंड में अपनी रेस खत्म करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया। इस हार के साथ हिमा दास का मेडल जीतने का सपना टूट गया है।
हालांकि वे अब भी रिले रेस में अच्छा प्रदर्शन कर मेडल जीत सकती हैं। वे 4×100 मीटर रिले में दुती चंद, सरबनी नंदा और एनएस सिमी के साथ चुनौती पेश करेंगी। इससे पहले 23.42 सेकंड के समय के साथ अपनी हीट में पहला स्थान हासिल कर हिमा ने सेमीफाइनल में जगह बनाई थी।
सेमीफाइनल में दास ने अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से ज्यादा समय लिया। दास की 200 मीटर रेस में बेस्ट टाइमिंग 22.88 सेकंड है।इस सत्र में उनका सर्वश्रेष्ठ समय 23.29 सेकंड है जो उन्होंने जून में एथलेटिक्स चैंपियनशिप में बनाया था।
हिमा असम के नागौर जिले की रहने वाली हैं। हिमा के परिवार में 17 लोग हैं और उनके जन्म के समय पूरा परिवार धान की खेती पर आश्रित था। हिमा बचपन से ही फुटबॉलर बनना चाहती थीं। वह स्कूल में फुटबॉल खेलती थीं। उनकी फुर्ती और खिलाड़ी बनने की चाह को स्कूल के एक टीचर ने भाप लिया और हिमा को एथलेटिक्स में करियर बनाने की सलाह दी। हिमा के पिता ने गुवाहाटी में उन्हें ट्रेनिंग लेने के लिए भेज दिया। पिता को इस बात की खुशी थी कि अब बेटी को तीन वक्त का खाना अच्छे से मिल सकेगा।
हिमा के पास कभी पहनने के लिए जूते भी नहीं थे। तब उनके पिता ने 1200 रुपये के खरीद कर अपनी बेटी को दिए थे। उसके बाद अपनी महेनत से सब कुछ बदला और 2018 में उसी जूते की कंपनी की एंबेसडर बन गईं। आने वाले समय में हिमा दास से भारत को और भी कई पदकों की उम्मीद है।