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क्या रवि दहिया, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट नहीं कर पाएंगे कुश्ती!, फेडरेशन चीफ ने दी ये कड़ी चेतावनी

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के चीफ बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि अगर खिलाड़ी प्रावइेट संस्था की मदद लेते हैं तो भविष्य में वे बड़ी मुश्किल में फंस सकते हैं।

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टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतने वाले पहलवान रवि दहिया और बजरंग पूनिया के साथ-साथ विनेश फोगाट की भी आने वाले समय में मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दरअसल, रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने सख्त रुख अपनाते हुए इन खिलाड़ियों को चेतावनी दी है। डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि अगर खिलाड़ी प्राइवेट संस्था की मदद लेते हैं तो उन्हें किसी भी इवेंट में उतरने का मौका नहीं दिया जाएगा। भारत के पहलवानों का ओलंपिक में लगातार शानदार प्रदर्शन रहा है। टोक्यो ओलंपिक में भी खिलाड़ियों ने एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज सहित 2 मेडल जीते हैं।

3 खिलाड़ियों को भेजा गया था नोटिस
रेसलिंग फेडरेशन ने पिछले दिनों विनेश फोगाट सहित 3 खिलाड़ियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। हाल ही एक इंटरव्यू में बृजभूषण ने कहा कि हमने खिलाड़ियों के मामले को अनुशासन समिति के पास भेज दिया है। जो विनेश फोगाट, सोनम मलिक और दिव्या काकरान को बुलाएगी। यह कहना आसान है कि मैंने गलती की है। लेकिन आपने यह गलती किस वजह से और क्यों की? विनेश फोगाट ने अपने वकील के माध्यम से जवाब दिया है कि वे दूसरे पहलवानों की बेहतरी के लिए टीम के साथ नहीं रहीं। ताकि वायरस ना फैले। शायद यह दूसरों की बेहतरी के लिए अच्छा हो सकता है, लेकिन उन्होंने फेडरेशन की ड्रेस क्यों नहीं पहनी। उसकी वजह से मुझे क्या झेलना पड़ा और मेरे साथ क्या हुआ यह जानना होगा।

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फेडरेशन को होनी चाहिए खिलाड़ियों की जानकारी
बृजभूषण ने खेल मंत्रालय की टॉप पोडियम स्कीम को लेकर कहा कि वे खिलाड़ियों को सीधे ट्रेनिंग के लिए विदेश भेज देते हैं। इसकी फेडरेशन को कोई जानकारी नहीं होती है। जबकि फेडरेशन को खिलाड़ियों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। विनेश फोगाट ने विदेश में ट्रेनिंग लेने के लिए कभी सीधे संपर्क नहीं किया। अगर खिलाड़ियों के विदेश में ट्रेनिंग लेने की बात होती है तो सबको भेजते हैं। हमें इस बारे में नहीं बताया गया।

तीन खिलाड़ियों का हो चुका है कॅरियर बर्बाद
बृजभूषण ने कहा कि हमें ओजीक्यू और जेएसडब्ल्यू जैसे प्राइवेट पार्टनरों की जरूरत नहीं। इन प्राइवेट संस्थाओं की वजह से तीन खिलाड़ियों का कॅरियर बर्बाद हो चुका है। हालांकि मैं उनका नाम नहीं लेना चाहूंगा। जब भारत सरकार अपने एथलीटों पर पैसा खर्च करने के लिए तैयार है तो प्राइवेट संस्थाओं कहां जरूरत पड़ती है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट पार्टनर जूनियर और कैडेट पहलवानों की मदद कर सकते हैं, जिन्हें वास्तव में सहयोग की जरूरत है।