ग्रामीण किसान मजदूर समिति (जीकेएस) के प्रदेश महासचिव संतवीर सिंह ने बताया कि बीटी कॉटन की फसल को पिछली बार गुलाबी सुंडी ने तहस-नहस कर दिया था। इस कारण कॉटन का उत्पादन प्रति हेक्टेयर आठ से 10 क्विंटल तक ही हुआ। किसान के समक्ष कॉटन का कोई विकल्प नहीं मिल रहा है। इस कारण मजबूरी में कॉटन की बुवाई ही करनी पड़ रही है। गांव सावंतसर के प्रगतिशील किसान मनीराम पूनिया का कहना है कि गुलाबी सुंडी की वजह से कॉटन के कम उत्पादन के साथ गुणवत्ता भी कमजोर रही। इसके चलते किसानों को कॉटन का औसत भाव 5500 रुपए प्रति क्विंटल ही मुश्किल से मिल पाया। पिछले तीन वर्ष की तुलना की जाए तो करीब तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल भाव किसानों को कम मिला। इस कारण किसानों को कॉटन की फसल की बुवाई के लिए खाद-बीज और चुगाई का खर्चा ही नहीं निकल पाया। किसानों का कहना है कि कॉटन की फसल ने किसानों को बहुत बड़ा दगा दिया था।
किसानों को यह सावधानी बरती जानी चाहिए
गुलाबी सुंडी की वजह से बीटी कॉटन में हुए नुकसान का सर्वे करने के लिए एटीसी हनुमानगढ़ के उप-निदेशक कृषि शस्य डॉ.मिलिंद सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी। इस टीम ने ही कृषि विभाग को जांच कर पूरी रिपोर्ट दी थी। उपनिदेशक सिंह का कहना है कि खरीफ सीजन में अब बीटी कॉटन की बुवाई करते समय किसानों को सावधान रखना चाहिए। किसानों को बीटी कॉटन की अगेती और पिछेती किस्मों की बुवाई नहीं करनी चाहिए। साथ ही कपास की अधिक ऊंचाई वाली और लंबे समय में पक कर तैयार होने वाली किस्मों की बुवाई से बचना चाहिए। कॉटन की बुवाई का समय
- देशी कपास की बुवाई का उचित समय : एक अप्रेल से 7 मई
- बीटी कॉटन की बुवाई का उचित समय : एक मई से 20 मई-
बीटी कॉटन का मूल्य
- कपास शंकर-बीजी-प्रथम-635 रुपए, कपास शंकर-बीजी-द्वितीय-864 रुपए, कपास शंकर बीजी-प्रथम व द्वितीय-455 ग्राम, कपास शंकर की बुवाई- एक बीघा में
खरीफ सीजन में अब बीटी कॉटन की बुवाई एक मई से शुरू हो जाएगी। इसके लिए कृषि आयुक्तालय ने विभिन्न कंपनियों को बीज बिक्री की अनुमति जारी कर दी है। पिछली बार बीटी कॉटन में गुलाबी सुंडी की वजह से कॉटन की फसल में नुकसान हुआ था। इस बार बीटी कॉटन की गुणवत्ता पर पूरा फोकस किया जाएगा। इसके लिए तकनीकी अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा साथ ही किसानों को कृषि गोष्ठियां कर बीटी कॉटन के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
सतीश शर्मा, अतिरिक्त निदेशक (कृषि विस्तार) श्रीगंगानगर खंड।