12 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दिल में छेद लिए जन्मी टीया, अब मिली जिंदगी

साधारण परिवार में जन्मी टीया के परिजन महंगा उपचार करवाने में समक्ष नहीं थे।

2 min read
Google source verification
Born to Hole in the Heart Now Mia Zindagi

श्रीगंगानगर.

सात वर्ष की मासूम टीया लंबे अर्से से दिल में छेद की बीमारी से जूझ रही थी। टीया सामान्य बच्चों की तरह न खेल सकती थी,न चल सकती और न ही चहक सकती थी। जिंदगी इक बोझ सी थी और परिजन मासूम टीया की इस गंभीर समस्या को लेकर बेहद परेशान थे। साधारण परिवार में जन्मी टीया के परिजन महंगा उपचार करवाने में समक्ष नहीं थे। इस बीच अचानक, आरबीएसके टीम टीया व उसके परिजनों के संपर्क में आई। टीम ने न केवल टीया को चिन्हित कर नि:शुल्क ईको करवाई बल्कि जयपुर के प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में नि:शुल्क उपचार भी करवाया। आज टीया पूरी तरह से स्वस्थ है और बेहद खुश भी। आरबीएसके टीम में डॉ. नेहा छाबड़ा, डॉ. प्रताप सिंह, फार्मासिस्ट सुरेंद्र कुमार व एएनए प्रवीण कुमारी शामिल रहे, जिन्होंने पहले भी कई गंभीर बीमारियों से पीडि़त बच्चों को उपचार करवाया है।

Video: मांगों को लेकर श्रमिक संगठनों का प्रदर्शन, दी गिरफ्तारी


गंभीर बीमारी से थी पीडि़त टीया

टीम की डॉ.नेहा छाबड़ा ने बताया कि गांव चार बीपीएम,अनूपगढ़ निवासी पवन कुमार साधारण किसान हैं और टीया उनकी लाडली बेटी है। जन्म से टीया के दिल में छेद है, इस बात का उन्हें तब पता चला जब टीया बीमार रहने लगी। जांच में पता चला कि हृदय संबंधी गंभीर बीमारी है तो परिजनों के पैंरो तले जमीन खिसक गई। इधर-उधर इलाज के लिए प्रयास किए लेकिन महंगा उपचार होने के कारण प्रयास नाकाफी साबित हुए। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत अनूपगढ़ में नियुक्त डॉ. छाबड़ा अपनी टीम सहित चार बीपीएम के राजकीय स्कूल में पहुंची। यहां उन्होंने टीया को जांचा तो बीमारी पकड़ में आई और डॉ. नेहा ने टीया के परिजनों से संपर्क किया। पता चला कि उसे दिल की बीमारी है, वह भी जन्म से।


कई मासूमों को मिली है नई जिंदगी

आखिरकार, टीया की जिला मुख्यालय पर ईको करवाई और रिपोर्ट आने के बाद उसे जयपुर के प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में ऑपरेशन के लिए भेजा। वहां जटिल ऑपरेशन के बाद टीया को आईसीयू में रखा गया और ठीक होने पर छुट्टी दे दी गई। इलाज पर करीब तीन लाख रुपए तक खर्च संभावित था, जो नि:शुल्क हुआ। अनूपगढ़ टीम ने ऐसे ही 12 बीएलडी के अंकित, रामसिंहपुर के लक्की सहित कई बच्चों को दिल से संबंधी बीमारियों व अन्य बीमारियों का नि:शुल्क उपचार करवाकर राहत दिलवाई है।