Video: पानी पाक जाता रहा, बांध रीते होते गए हालांकि नगर विकास न्यास की पुरानी योजना में चार भूखण्ड वहां थे, लेकिन एक प्रभावशाली अधिकारी ने कब्जा जमा लिया। इस कब्जे को छुड़ाने की बजाय अन्य विकल्पों पर पंचायतराज विभाग में पत्र व्यवहार का खेल चल रहा है। करीब तीन साल के कार्यकाल पूरा होने के बावजूद ग्राम पंचायत प्रशासन ने एक भूखण्ड का जुगाड़ नहीं किया है, लेकिन पिछले दिनों जारी हुई स्मार्ट विलेज की सूची में अपना नाम अंकित जरूर करवा लिया है।
टूटी जालियों को बजट का इंतजार
सरपंच दे रही हैं किराया और बिजली बिल
सरपंच सुनीता सीगड़ के ससुर के नाम से एक मकान है, इसी मकान में ग्राम पंचायत भवन संचालित हो रहा है। इसका किराया और बिजली का बिल सरपंच खुद वहन कर रही है। सरपंच सीगड़ की मानें तो राज्य सरकार से अभी तक कोई भूखण्ड तक नहीं मिला है। यहां तक कि जिला परिषद प्रशासन के पास पांच लाख रुपए भवन निर्माण के संबंध में बजट भी आया हुआ है लेकिन पिछले तीन साल से यूआईटी की ओर से भूखण्ड उपलब्ध नहीं कराया गया है। यह ग्राम पंचायत शहर से सटे होने के कारण वहां पट्टे देने के लिए यूआईटी अधिकृत है।
सरपंच दे रही हैं किराया और बिजली बिल
सरपंच सुनीता सीगड़ के ससुर के नाम से एक मकान है, इसी मकान में ग्राम पंचायत भवन संचालित हो रहा है। इसका किराया और बिजली का बिल सरपंच खुद वहन कर रही है। सरपंच सीगड़ की मानें तो राज्य सरकार से अभी तक कोई भूखण्ड तक नहीं मिला है। यहां तक कि जिला परिषद प्रशासन के पास पांच लाख रुपए भवन निर्माण के संबंध में बजट भी आया हुआ है लेकिन पिछले तीन साल से यूआईटी की ओर से भूखण्ड उपलब्ध नहीं कराया गया है। यह ग्राम पंचायत शहर से सटे होने के कारण वहां पट्टे देने के लिए यूआईटी अधिकृत है।
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कागजों में दौड़ाए घोड़े
इस ग्राम पंचायत में मतदाताओं की संख्या दस हजार है और आबादी करीब बीस हजार पार हो चुकी है। शहर से सटे होने के कारण नगर विकास न्यास के क्षेत्राधिकार में है, ऐसे में न्यास प्रशासन ने भी अपने स्तर पर भूमि देने की प्रक्रिया नहीं अपनाई है। हालांकि जब जब सरपंच और ग्राम सचिव ने जिला प्रशासन, जिला परिषद, पंचायत समिति और पंचायत राज विभाग के अधिकारियों और मंत्रियों तक शिकायती पत्र दिए हैं। इस पर सरकारी भूमि के बारे में फीडबैक लेने संबंधित एक से दूसरे विभाग में पत्र व्यवहार या स्मरण पत्र देने की प्रक्रिया जरूर हुई है।
कागजों में दौड़ाए घोड़े
इस ग्राम पंचायत में मतदाताओं की संख्या दस हजार है और आबादी करीब बीस हजार पार हो चुकी है। शहर से सटे होने के कारण नगर विकास न्यास के क्षेत्राधिकार में है, ऐसे में न्यास प्रशासन ने भी अपने स्तर पर भूमि देने की प्रक्रिया नहीं अपनाई है। हालांकि जब जब सरपंच और ग्राम सचिव ने जिला प्रशासन, जिला परिषद, पंचायत समिति और पंचायत राज विभाग के अधिकारियों और मंत्रियों तक शिकायती पत्र दिए हैं। इस पर सरकारी भूमि के बारे में फीडबैक लेने संबंधित एक से दूसरे विभाग में पत्र व्यवहार या स्मरण पत्र देने की प्रक्रिया जरूर हुई है।
अब तो स्मार्ट विलेज का बजट भी नहीं
हमने स्मार्ट विलेज की श्रेणी के लिए इस ग्राम पंचायत में बजट खर्च करने के लिए पंचायत समिति और जिला परिषद प्रशासन को अवगत कराया था, लेकिन आश्वासन देकर टरका दिया गया। अब यह स्मार्ट विलेज का बजट कहां गया, यह बताने को कोई अधिकारी तैयार तक नहीं है, जबकि इसके विपरीत जिले के अन्य गांवों जहां स्मार्ट विलेज की श्रेणी में रखा गया, वहां बजट खर्च किया जा रहा है।
सुनिता सीगड़, सरपंच, ग्राम पंचायत 3 ई छोटी।