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Video: मांगों को लेकर श्रमिक संगठनों का प्रदर्शन, दी गिरफ्तारी

कार्यकर्ता सडक़ पर बैठ गए और सरकार विरोधी नारे लगाए। इस दौरान कलक्ट्रेट के बाहर भारी पुलिस फोर्स तैनात रही।

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कार्यकर्ता सडक़ पर बैठ गए और सरकार विरोधी नारे लगाए। इस दौरान कलक्ट्रेट के बाहर भारी पुलिस फोर्स तैनात रही।

श्रीगंगानगर.

केन्द्र व राज्य सरकार की मजदूर विरोधी व जनविरोधी नीतियों के विरोध में बुधवार को श्रमिक संगठनों की ओर से कलक्ट्रेट के बाहर धरना-प्रदर्शन किया और कलक्टर के मार्फत राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। इसके बाद श्रमिक संगठनों की ओर से गिरफ्तारियां दी गई। श्रमिक संगठनों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता बुधवार को नेहरू पार्क में एकत्रित हुए। वहां से जुलूस के रूप में कलक्ट्रेट के बाहर पहुंचे और वहां धरना-प्रदर्शन किया। कार्यकर्ता सडक़ पर बैठ गए और सरकार विरोधी नारे लगाए। इस दौरान कलक्ट्रेट के बाहर भारी पुलिस फोर्स तैनात रही।

मनमर्जी के स्पीड ब्रेकर्स से परेशानी

किसी भी को भी अंदर नहीं जाने दिया गया। संगठनों की मांगों को लेकर जिला कलक्टर के मार्फत राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देने के लिए कहा। इस पर एसडीएम यशपाल आहूजा बाहर आ गए और संगठनों पदाधिकारियों की ओर से उनको चौदह मांगों का ज्ञापन सौंपा। इसके बाद श्रमिक संगठनों के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारियां दी। इस दौरान भारतीय ट्रेड यूनियन केन्द्र सीटू, आल इण्डिया ट्रेड यूनियन, हिन्द मजदूर सभा, आटो चालक यूनियन, इंटक, अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन, राजस्थान मेडिकल एण्ड सेल्स रीप्रजंटेटिव यूनियन के पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद थे।

हथेलियों पर आई लाडो

वहीं मौके पर सीओ सिटी तुलसीदास पुरोहित, कोतवाली थाना प्रभारी नरेन्द्र पूनियां, सदर थाना प्रभारी कुलदीप वालिया, जवाहरनगर थाना प्रभारी शकील अहमद, महिला थाना प्रभारी अरविंद बरैड सहित भारी पुलिस फोर्स तैनात रही। श्रमिक संगठनों की मांग - श्रम कानूनों की पालना कठोरता से हो, मजदूर विरोधी संशोधन वापस लिया जाए। न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपए माह हो, मासिक पेंशन, मंहगाई पर रोक, बेरोजगारी पर रोक, सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण बंद हो, ठेका प्रथा समाप्त की जाए, योजना आधारित कर्मचारियों को राज्यकर्मी घोषित किया जाए, श्रम हित के कानूनों पर लगी सीलिंग हटाई जाए। नई पेंशन नीति समाप्त हो, किसानों की फसलों का आयोग की सिफारिश के अनुसार मूल्य घोषित हो, खेत मजदूरों के लिए सर्व समावेशी कानून बने, रोडवेज को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया रोकी जाए।