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तीन महीने में करो कैटल फ्री सिटी, नहीं तो भुगतो रोजाना एक हजार रुपए जुर्माना

कलक्टर, नगर परिषद आयुक्त, सभापति ट्रैफिक पुलिस थाना प्रभारी, डीटीओ समेत कइयों के खिलाफ आदेश

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श्रीगंगानगर.

अगले तीन महीने में शहर को कैटल फ्री सिटी बनाने के लिए जिला कलक्टर, नगर परिषद, नगर विकास न्यास, ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग को संयुक्त रूप से काम करना होगा, यदि ऐसा नहीं होता है तो रोजाना एक हजार रुपए का जुर्माना कोर्ट में जमा करवाना होगा।

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गुरुवार को जिला स्थायीलोक अदालत ने शहर में आवारा पशुओं से आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं और मौत के लिए जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ यह आदेश जारी दिया है। सीनियर सिटीजन और के ब्लॉक निवासी राधेश्याम गोयल ने राजस्थान पत्रिका में प्रकाशित समाचारों का आधार बनाकर जिला स्थायी लोक अदालत में राजस्थान के स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड अम्बेडर और डूंगरपुर के नगर परिषद सभापति केके गुप्ता, जिला कलक्टर, नगर विकास न्यास के अध्यक्ष, नगर परिषद सभापति, आयुक्त, यातायात पुलिस थाना प्रभारी और जिला परिवहन अधिकारी के खिलाफ परिवाद दायर किया था।

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इसमें बताया गया कि आवारा पशु शहर के विभिन्न इलाकों और मुख्य मार्गो पर विचरण करते हैं, इससे कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। यहां तक कि नगर परिषद और नगर विकास न्यास की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इसके बावजूद कोई सुनवाई नहीं हुई है। इस पर स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष नरेश चुघ, सदस्य अजय मेहता और जेपी गौतम ने दो पृष्ठों का आदेश जारी किया है।


पन्द्रह दिन में बनाओ हैल्प लाइन
इस आदेश में शहर में आवारा पशुओं से निजात दिलाने के लिए आमजन को शिकायत करने के लिए पन्द्रह दिन में एक हैल्प लाइन बनाने के भी आदेश जिला कलक्टर, नगर परिषद आयुक्त और यूआईटी अध्यक्ष को दिए हैं। इसमें बताया गया है कि एक हैल्प लाइन फोन नम्बर सार्वजनिक हो, इस पर आने वाली शिकायतों का एक रजिस्टर संधारित होना चाहिए। इसके आधार पर शिकायतों का निस्तारण किया जाना चाहिए। शहर के प्रत्येक वार्ड के चौक पर इस हैल्प लाइन का नम्बर अंकित होना चाहिए। आवारा पशुओं की धरपकड़ करने के लिए यातायात पुलिस और जिला परिवहन अधिकारी भी स्वयं उपस्थित होकर अभियान में सहयोग करेंगे।

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पशुओं की धरपकड़ हो रही है या नहीं, आयुक्त देंगी शपथ पत्र
इस कोर्ट ने नगर परिषद आयुक्त को जिम्मेदार अधिकारी के रूप में अधिकृत किया है। आयुक्त को एक महीने के बाद खुद को शपथ पत्र पेश करने के लिए पाबंद किया गया है। इस एक महीने की अवधि में कितने पशुओं की धरपकड़ की गई है और उनको नंदीशाला में रखा गया है या नहीं, पूरी रिपोर्ट शपथ पत्र के साथ कोर्ट में देनी होगी। इसके साथ साथ नगर विकास न्यास भी अपने क्षेत्र में ऐसे आवारा पशुओं को धरपकड़ अभियान में सहयोग करेगी। ऐसा नहीं होने पर बाकायदा जवाब देना होगा।


पत्रिका की खबरें बनी आधार
राजस्थान पत्रिका ने शहर में आवारा पशुओं की समस्याओं को लेकर समाचार शृंखला प्रकाशित की थी। इन खबरों के आधार पर अधिवक्ता राधेश्याम गोयल ने आधार बनाकर परिवाद स्थायी लोक अदालत में पेश किया। हालांकि नगर परिषद प्रशासन ने अपना जवाब पेश किया था, इसमें नंदीशाला खोलना बताया था लेकिन समस्या ज्यों की त्यों होने पर अदालत ने इसे गंभीरता से लिया है।