
श्रीगंगानगर.
केन्द्र सरकार की ओर से संचालित स्वच्छ भारत मिशन पूरे देश में एक ही योजना है। इस योजना के माध्यम से खुले से शौच से मुक्ति दिलाने के लिए प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपए का बजट तक खर्च किया जा चुका है। लेकिन शौचालय निर्माण के अनुदान में दोहरे मापदंड तय किए गए हैं। ऐसे में शहरी क्षेत्र में शौचालय निर्माण करने वाले मकान मालिकों को अनुदान राशि के लिए कंजूसी बरती जा रही है तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र में इस बजट को देने में दरियादिली दिखाई है।
शहर में ऐसे शौचालय निर्माण करने पर भवन मालिक को सिर्फ आठ हजार रुपए वह भी दो किस्तों में दिए जा रहे हैं तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे शौचालय निर्माण होने पर भवन मालिक को बारह हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र में शौचालय निर्माण करने के लिए बजट राशि जिला परिषद के माध्यम से संबंधित ग्राम पंचायतों को भिजवाई जाती है जबकि शहर के लिए संबंधित नगर परिषद या नगर पालिका प्रशासन से संबंधित वार्ड के पात्र परिवारों को देने का प्रावधान है।
शहर में करीब 3 हजार तक पहुंची संख्या
जिला मुख्यालय पर नगर परिषद के पचास वार्डों में तीन हजार ही शौचालयों का निर्माण हो पाया है। इन शौचालयों के निर्माण के लिए भवन मालिक को आठ-आठ हजार रुपए का भुगतान किया गया है। शहर में सबसे अधिक वार्ड नम्बर एक में शौचालयों का निर्माण हुआ है, इसमें 410 शौचालय बने हंै। वहीं पुरानी आबादी वार्ड चार में 200, वार्ड सात में 251, वार्ड 47 में 167 शौचालयों का निर्माण हुआ है।
ग्रामीण इलाके में आंकड़ा 98 हजार पार
जिले की 336 ग्राम पंचायतों में पिछले ढाई सालों में 98 हजार से अधिक शौचालयों का निर्माण हो चुका है। प्रत्येक शौचालय निर्माण के एवज में पात्र परिवार को बारह हजार रुपए की दर से भुगतान किया गया है। जिला परिषद प्रशासन के माध्यम से ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन में उन परिवारों को यह राशि का भुगातन किया गया है जिन्होंने अपने घरों में शौचालय का निर्माण कराने के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था। परिषद प्रशासन ने एससी, एसटी, बीपीएल, विधवा, निशक्तजन को प्राथमिकता भी दी थी, परिषद के रिकॉर्ड के अनुसार करीब 13 करोड़ 73 लाख रुपए का बजट वितरित किया जा चुका है।
खुले से शौच से मुक्त करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय का निर्माण कराने की प्रक्रिया चल रही है। 2 अक्टूबर 2014 को शुरू हुई केन्द्र सरकार की यह योजना ग्रामीण और शहरी क्षेत्र को ओडीएफ करने में लगी है। ग्रामीण क्षेत्र में शौचालय निर्माण के लिए बारह हजार रुपए दिए जा रहे हैं लेकिन शहरी क्षेत्र में यह राशि घटकर आठ हजार रुपए पहुंच गई है।
हालांकि सरकार ने इस योजना में शहरी क्षेत्र में स्थानीय निकाय की ओर से चार हजार रुपए की राशि मिलाकर पात्र परिवारों को वितरित देने का खाका तैयार किया था लेकिन स्थानीय निकायों की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है, इस कारण पात्र परिवार को तीन की बजाय दो किस्तों में आठ हजार रुपए दिए जा रहे हैं। नगर परिषद या नगर पालिका में पार्षद सक्रिय रहते हैं लेकिन इस नियम कायदे की जानकारी से दूर हैं। यदि ऐसा होता तो पात्र परिवारों को आठ की बजाय बारह हजार रुपए का भुगतान दिलाते।
ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन में शौचालय निर्माण पर बारह हजार रुपए का अनुदान दिया गया है। जिला परिषद इस योजना की गाइड लाइन के अनुरूप भुगतान करने में पीछे नहीं रहा है। शहरी क्षेत्र में शौचालय निर्माण का बजट कम क्यों दिया जा रहा है, यह मेरी जानकारी में नहीं है।
विश्राम मीणा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी
जिला परिषद
यह सही है कि राज्य सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन में स्थानीय निकायों में शौचालय निर्माण कराने पर आठ हजार रुपए का प्रावधान किया गया है। उसके अनुरूप ही यह भुगतान किया जा रहा है। यह सही है कि जिला परिषद की ओर से ग्रामीण क्षेत्र में यह राशि बारह हजार रुपए है। यह अंतर क्यों है, मेरी समझ से बाहर है।
सुनीता चौधरी,
आयुक्त नगर परिषद
Published on:
22 Jan 2018 07:29 am
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