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श्री गंगानगर

सोचण दोवें सूरमे कुज्ज कर दिखलाइए…

जिला मुख्यालय पर स्थित खालसा कॉलेज में आयोजित तीन दिवसीय गुरु मान्यो चेतना समागम के दूसरे दिन भी श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा।

श्री गंगानगरFeb 26, 2018 / 07:54 am

pawan uppal

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श्रीगंगानगर.

जिला मुख्यालय पर स्थित खालसा कॉलेज में आयोजित तीन दिवसीय गुरु मान्यो चेतना समागम के दूसरे दिन भी श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा। कॉलेज की बच्चियों ने शब्द गायन से कार्यक्रम की शुरुआत के बाद बाबा उपकार सिंह 6जी वालों ने कीर्तन के माध्यम से गुरुमहिमा का बखान किया। गुरुद्वारा परमेश्वर द्वारा से आए जत्थे ने ‘बाणी धुर दरगाह तों आई’ शब्द गायन के माध्यम से बताया कि सिख धर्म विश्व का विलक्षण धर्म है जिसमें हमारा गुरु कोई शरीरधारी न होकर शब्द गुरु है।
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इसके बाद बाबा रणजीत सिंह ढडरियां वालों ने कीर्तन की शुरुआत ‘जिन के चोले रतड़े पियारे कंत तिना के पास’ शब्द के साथ की। इसके बाद ‘वाह-वाह वडिआईयां तेरीआं तेरे वरगा होर ना कोई’ शब्द गायन प्रस्तुत किया तो पण्डाल में मौजूद हजारों की संगतें भी उनका साथ देने लगीं। उन्होंने बताया कि हम जब तक अपने मन को ज्ञान प्राप्ति के लिए जोड़ेंगे नहीं तब तक यहां आना बेकार है। हमें एकाग्रचित होकर गुरु के ज्ञान को प्राप्त करना है। गुरु महिमा का बखान करते हुए उन्होंने कहा कि ‘लाल रंग तिसको लागा जिसके वडभागा मैला कदे न होवई न लागै दागा’ शब्द गायन किया।
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गुरुनानक देव के लंगर की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ रोटी के लंगर लगाना ही पर्याप्त नहीं है। आज समाज व देश की जरूरत है सभी को रोटी-कपड़ा और समय पर इलाज मिले। तभी समाज बदलेगा व देश आगे बढ़ेगा। ढडरियां वालों ने कहा कि व्यक्ति खुद ईमानदार होगा तो कम से कम एक बेईमान तो कम होगा। इस तरह की शुरुआत करने में हम कामयाब हुए तो देश को आगे बढऩे से कोई रोक नहीं सकता। उन्होंने कहा कि नरक व स्वर्ग सब पृथ्वी पर ही है और यहीं भोगना पड़ता है। जिस प्रकार भाई लहणा जी व भाई श्रीचन्द एक घर में रहे। गुरु साहिब से अच्छी शिक्षा प्राप्त भी की लेकिन ज्ञान को धारण सिर्फ एक ने ही किया।
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बाबा गरजासिंह का प्रसंग सुनाया
बाबा बोतासिंह बाबा गरजा सिंह का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब ये दोनों अमृतसर साहिब से जंगल के रास्ते से जब वापस आ रहे थे तो इन पर मुगलों की नजर पड़ी व मुगलों ने देखो सिख लग रहे हैं। उस समय कुछ मुगलों ने कहा कि असली सिख नहीं हो सकते। क्योंकि असली सिख कभी छुपते नहीं। इन शब्दों का दोनों पर गहरा असर हुआ। ‘सोचण दोवें सूरमें कुज्ज कर दिखलाइए बोली लोहण वास्ते जिंद लेखे लाइए, जे चा परवाने बणन दा शमां आप जगाइए जिस मरने ते जग्ग डरे ओहो मौत आप बुलाइए’ कहते हुए दोनों ने लाहौर के रास्ते पर नाका लगाकर टैक्स वसूली प्रारम्भ कर दी।
हर आने जाने वाले से टैक्स वसूला जाने लगा। जिसका मकसद तत्कालीन राज तक यह संदेश पहुंचाना था कि सिख अभी खत्म नहीं हुए। जब इस बात का पता मुगलों तक नहीं चला तो उन्होंने स्वयं पत्र लिखकर हाकिमों तक अपनी बात पहुंचाई। इसके बाद मुगलों की फौज ने इन दोनों पर आक्रमण किया व इनकों शहीद किया। इसके बाद सिखों में एक जागृति की लहर पैदा हुई।

आज होगा अमृत संचार
श्रीगुरुनानक खालसा शिक्षण समिति के कन्या विद्यालय अंग्रेजी माध्यम की नींव सोमवार को रखी जाएगी। नींव रखने का कार्य पांच प्यारों करेंगे। इसके बाद खालसा शिक्षण संस्थान स्थित गुरुद्वारे में अमृत संचार करवाया जाएगा।

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