इसके बाद बाबा रणजीत सिंह ढडरियां वालों ने कीर्तन की शुरुआत ‘जिन के चोले रतड़े पियारे कंत तिना के पास’ शब्द के साथ की। इसके बाद ‘वाह-वाह वडिआईयां तेरीआं तेरे वरगा होर ना कोई’ शब्द गायन प्रस्तुत किया तो पण्डाल में मौजूद हजारों की संगतें भी उनका साथ देने लगीं। उन्होंने बताया कि हम जब तक अपने मन को ज्ञान प्राप्ति के लिए जोड़ेंगे नहीं तब तक यहां आना बेकार है। हमें एकाग्रचित होकर गुरु के ज्ञान को प्राप्त करना है। गुरु महिमा का बखान करते हुए उन्होंने कहा कि ‘लाल रंग तिसको लागा जिसके वडभागा मैला कदे न होवई न लागै दागा’ शब्द गायन किया।
बाबा गरजासिंह का प्रसंग सुनाया
बाबा बोतासिंह बाबा गरजा सिंह का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब ये दोनों अमृतसर साहिब से जंगल के रास्ते से जब वापस आ रहे थे तो इन पर मुगलों की नजर पड़ी व मुगलों ने देखो सिख लग रहे हैं। उस समय कुछ मुगलों ने कहा कि असली सिख नहीं हो सकते। क्योंकि असली सिख कभी छुपते नहीं। इन शब्दों का दोनों पर गहरा असर हुआ। ‘सोचण दोवें सूरमें कुज्ज कर दिखलाइए बोली लोहण वास्ते जिंद लेखे लाइए, जे चा परवाने बणन दा शमां आप जगाइए जिस मरने ते जग्ग डरे ओहो मौत आप बुलाइए’ कहते हुए दोनों ने लाहौर के रास्ते पर नाका लगाकर टैक्स वसूली प्रारम्भ कर दी।
आज होगा अमृत संचार
श्रीगुरुनानक खालसा शिक्षण समिति के कन्या विद्यालय अंग्रेजी माध्यम की नींव सोमवार को रखी जाएगी। नींव रखने का कार्य पांच प्यारों करेंगे। इसके बाद खालसा शिक्षण संस्थान स्थित गुरुद्वारे में अमृत संचार करवाया जाएगा।