
focus on high risk pragnancy
श्रीगंगानगर.
राज्य में मातृ-मृत्यृ दर और शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की महत्वाकांक्षी जननी सुरक्षा योजना ज्यादा कारगर साबित नहीं हो रही। विभाग अब हाई रिस्क प्रेगनेंसी (एचआरपी) पर भी फोकस कर रही है।
श्रीगंगानगर जिले में पिछले पांच साल में एक लाख 74 हजार 48 संस्थागत प्रसव करवाए गए। इस बीच 96 प्रसूतों की मौत हुई और 2364 नवजात (0-5 साल) की भी जान जा चुकी है। इस बीच न कुशल हुआ और ना मंगल। जिले में प्रसूता और नवजात की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा।
हकीकत जुदा
विभाग का दावा है कि हाई रिस्क प्रेगनेंसी की पहचान की जा रही है। चिन्हीकरण, लाइन लिस्टिंग, उपचार और फालोअप का दावा किया जा रहा है। 11 जुलाई 015 में विभाग ने ' कुशल मंगल कार्यक्रम शुरू किया था लेकिन हकीकत जुदा है।
Published on:
27 Aug 2016 02:55 pm
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