
भगवान श्रीराम ने तीर उठाया भी नहीं था कि आग से झुलस गई ताड़का
श्रीगंगानगर। यह मामला थोड़ा लीक से हटकर है, क्योंकि एक हजार हाथियों जैसी ताकत रखने वाली 'ताड़का खुद अपना ही शिकार हो गई। भगवान श्रीराम उसका वध करते इससे पहले वह आग से झुलस गई। मामला श्रीगंगानगर के पुरानी आबादी में चल रही है रामलीला का है। शुक्रवार रात को ताड़का वध का प्रसंग चल रहा था।
इसी दौरान वहीं का रहने वाला राज शर्मा (40) पुत्र चरणजीत ताडका के रोल में आतिशबाजी करता हुआ मंच की तरफ आया। ताडका को देखकर दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई। ताडका ने एक हाथ में मशाल तो दूसरे में हाथ में केरोसीन की बोतल लेकर मुंह से आग उगलने वाले सीन दिखाने शुरू किए थे। इसी दौरान ताडका ने जैसे ही मुंह में केरोसीन डालकर आग उगलने का प्रयास किया तो उसका पैर फिसल गया। एेसे में केरोसीन की बोतल उसके सिर पर आ गिरी और मशाल भी नीचे गिर गई। इस कारण ताडका के सिर पर लगी विग ने आग पकड़ ली।
आग देखकर दर्शकों, आयोजकों व कलाकारों में अफरातफरी मच गई। मौके की नजातक भांपते हुए दर्शक ताडका का रोल कर रहे राज शर्मा के कपड़ों में लगी आग बुझाने के लिए दौड़ पड़े। इस कारण रामलीला का मंचन रोकना पड़ा। बाद में झुलसे कलाकार को तत्काल राजकीय चिकित्सालय ले जाया गया। सिर व सीने, पीठ पर आग लगने से राज शर्मा 45 प्रतिशत तक झुलस गया।
शनिवार सुबह गंभीर हालत में उसको जयपुर के लिए रैफर कर दिया गया। पुरानी आबादी थाने के हैडकांस्टेबल राजपाल ने बताया कि ताडका बना व्यक्ति पैर फिसलकर गिर गया था, जिसके हाथ में थमी केरोसीन की बोतल भी उस पर गिरने से आग लग गई। उसको राजकीय चिकित्सालय ले जाया गया। इस संबंध में किसी पक्ष की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं दी है। यह रामलीला एकता युवा नाटक क्लब हाउसिंग बोडज़र्् की ओर से चल रही है।
चार दिन पहले भी झुलस गई थी ताडका
- करीब चार दिन पहले भी 77 एनपी समेजा कोठी में रामलीला के दौरान ताडका का सीन चल रहा था, जहां मुंह से आग उगने के सीन के दौरान आग लग गई थी। यहां ताडका का रोल कर रहे कलाकार बद्री का चेहरा भी झुलस गया था। उसको राजकीय चिकित्सालय के बनज़् वाडज़् में भतीज़् कराया गया था।
कौन थी रामायण की ताडका
- रामायण की एक पात्र ताडका सुकेतु यक्ष की पुत्री थी, जिसका विवाह सूड नामक राक्षस से हुआ था। यह अयोध्या के समीप स्थित सुंदरवन में अपने पति व दो पुत्रों सुबाहू व मारीच के साथ रहती थी। उसके शरीर में हजारों हाथियों का बल था। उसके प्रकोप से सुंदरवन का नाम ताडका वन पड़ गया था। उसी वन में विश्वामित्र सहित कई ऋषि-मुनि भी रहते थे। उनके जप, तप और यज्ञ में ये राक्षस बाधाएं खड़ी करते थे। ऋषि विश्वामित्र राजा दशरथ से अनुरोध कर राम और लक्ष्मण को सुंदर वन लाए। राम ने ताडका व ऋषि ने यज्ञ की पूर्णाहुति के दिन सुबाहू का भी वध कर दिया था।
ऋषि ने ताडका की सुंदरता को कर दिया था नष्ट
- अपने पति की मृत्यु व पुत्र की दुगज़्ति का बदला लेने के लिए ताडका अगस्त्य ऋषि पर झपटी। इस पर अगस्त्य ऋषि ने शाप देकर ताडका की सुंदरता को नष्ट कर दिया और वह अत्यंत कुरूप हो गई। अपनी कुरूपता को देखकर व पति की मृत्यु का बदला लेने के लिए ताडका ने अगस्त्य ऋषि के आश्रम को नष्ट करने का संकल्प लिया। इसलिए ऋषि विश्वामित्र ने ताडका का वध राम के हाथों करवा दिया।
Published on:
13 Oct 2018 01:53 pm
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